पूर्वोतर राज्यों के लोगों के बीच राष्ट्रिय एकता और सांस्कृतिक आदान प्रदान को बढ़ावा देने के लिए अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् द्वारा शुरू की गई भारत गौरव यात्रा के तहत शिमला पहुंचे 31 प्रतिनिधि हिमाचल की संस्कृति के कायल हो गए हैं। छात्र प्रतिनिधियों ने बताया कि हिमाचल के लोगों के घरों में ठहर कर हिमाचल की संस्कृति को जाना और हिमाचल प्रदेश विश्व विद्यालय में जनजातीय छात्रों से भी मुलाकात की और उनके रहन-सहन और संस्कृति को भी समझा।
छात्र प्रतिनिधि डारिलिन ने बताया कि हिमाचल आकर उन्होंने नमस्ते शब्द के अर्थ नार्थ टू ईस्ट का भी सही मायना समझा है। भारत की संस्कृति में विविधता में भी एकता है। डारिलिन ने बताया कि हिमाचल के परिवारों से जो प्यार मिला है उससे कभी ऐसा आभास नही हुआ कि वे अपने माता पिता और घर से बाहर कंही दूसरी जगह है। नॉर्थईस्ट के लोगों की सुंदरता चेहरे और कपड़ो में नहीं है बल्कि दिल में है। इस यात्रा से देशभक्ति को भावना भी पैदा हुई।
वन्ही भारत गौरव यात्रा की मणिपुर से आयी छात्र प्रतिनिधि बिएस्कियन ने बताया कि इस यात्रा ने उनका हिमाचल प्रदेश के शिमला आने का सपना पूरा हुआ है और शिमला में हुई बर्फ़बारी ने उनकी यात्रा को और भी यादगार बना दिया है। हिमाचल के लोगो के साथ पहली बार लोहड़ी मनाने और सीखने का सौभाग्य भी उन्हें मिला है क्यूंकि नार्थईस्ट में इस तरह की लोहड़ी नहीं मनाई जाती जैसी हिमाचल के लोग मनाते हैं।
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् ने 1966 से "एक राष्ट्र एक जन एक संस्कृति"के उदेश्य से पूर्वोतर राज्यों के छात्रों के लिए अंतर्राज्यीय छात्र प्रकल्प शुरू किया है जिसमें भारत के उतरी पूर्वी राज्यों अरुणाचल प्रदेश ,असम ,मणिपुर, नागालेंड ,मेघालय, मिजोरम सिक्किम और त्रिपुरा राज्यों से विद्यार्थियों को भारत के हर कोने में जाकर वंहा की संस्कृति से रूबरू होने का मौका मिलता है।
12 जनवरी को शिमला पहुंचे छात्र प्रतिनिधि 15 जनवरी तक शिमला में रहने के बाद देहरादून रवाना हो जायेंगे। 15 जनवरी को प्रतिनिधियों के लिए शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में एक अभिनन्दन कार्यक्रम भी रखा गया है जिसमे छात्रों को हिमाचल की लोक संस्कृति की झलक दिखाई जाएगी