कहते हैं जब इंसान बूढ़ा हो जाता है तो उसकी देखभाल बच्चों पर भारी पड़ जाती है और बच्चे अपने बूढ़े मां-बाप को दर-दर को ठोकरें खाने के लिए छोड़ देते हैं। जिससे यह साबित होता है की आज के जमाने में इंसानियत मर चुकी है और पत्नी मोह जिन्दा है। लेकिन मां-बाप का होंसला बुलंद हो तो ओलाद भी दर दर की ठोकरें खा सकती है।
ऐसा ही कुछ नजारा देहरा तहसील के सपडु गांव में देखने को मिला जहां अपने पुत्रों और बहुओं से दुखी हो कर 90 साल के जीतू राम ने अब यह मन बना लिया है की वह अपनी सारी संपत्ति और भूमि सरकार को दान दे देंगे। क्योंकि जीतू राम के पांच पुत्र और बहुएं हैं जो जीतू राम की जरा भी देख रेख नहीं करते हैं।
उम्र के इस पड़ाव में बुढ़ापे का सहारा ओलाद बनती है लेकिन आज के जमाने में ओलाद अपने मां-बाप को दरकिनार कर पत्नी मोह में डूब गई है। जिस मां ने जन्म दिया उसी की देख रेख न करें ऐसी कलयुगी ओलाद से बेहतर है कि मां-बाप एक दूसरे को देख कर ही अपनी जिंदगी बसर कर लें और कोई तीसरा ही उनकी चिता को अग्नि दे।
तहसील देहरा के सपडु गांव निवासी जीतू राम ने अब अपना मन बना लिया है की वह अब अपनी जमीन सरकार को दान कर देंगे। उनका कहना है की सरकार उनकी देख रेख करे। क्योंकि 90 साल की उम्र में जीतू राम कोई काम नहीं कर सकते और अपनी पत्नी को पालना भी मुश्किल हो गया है। उनकी ओलाद इन दोनों की देख-रेख नहीं करती है जिससे जीतू राम अच्छे खासे नाराज चल रहे हैं।
जीतू राम कई बार जिलाधीश कार्यालय के चक्कर काट चुके हैं और अब जीतू राम ने हार मान ली है। उनसे चला भी नहीं जाता लाठी के सहारे कब तक जीतू राम यहां वहां भटकते रहेंगे। यह सोच कर अब जीतू राम ने अपनी ओलाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है और खुले मंच से एलान कर दिया है की अगर ओलाद नहीं सुधरी तो सब कुछ सरकार के नाम कर दूंगा।