केंद्र और प्रदेश में बीजेपी सरकार के सत्ता में आने के बाद दलितों का लगातार शोषण किया जा रहा है। हिमाचल प्रदेश में पिछले एक साल से दलितों से अत्यचार के मामले बढ़ रहे हैं। सिरमौर में दलित नेता केदार जिंदान हत्या मामले में सरकार ने अभी तक परिवार से जो वादे किए थे वह पूरे नहीं किये हैं। शिमला के चौपाल के नेरवा में रजत मामले और कुल्लू में दलित युवक की पिटाई के मामले को लेकर भी सरकार ने अभी तक कोई कार्रवाई अमल में नहीं लाई। इससे साबित होता है प्रदेश में सरकार दलित विरोधी है। ये बाता दलित शोषण मुक्ति मंच ने कही।
इसी के विरोध में दलित शोषण मुक्ति मंच ने प्रदेश सरकार के खिलाफ सभी मुख्यालयों के बाहर धरना प्रदर्शन किया और सरकार को उपायुक्त के 11 सूत्रीय मांग पत्र दिया है। दलित शोषण मुक्ति मंच के अध्यक्ष जगत राम ने कहा कि प्रदेश में दलित समुदाय के लोगों का शोषण बढ़ता ही जा रहा है।
बीते दिनों सोलन के कसौली में एक महिला और उसकी बेटी के साथ भी कुछ लोगों द्वारा छेड़खानी और मारपीट करने का मामला सामने आया है जिसको प्रशासन ने दबाने की कोशिश की है और पीड़ित महिलाओं को न्याय नहीं मिल रहा है।प्रदेश में सत्तासीन सरकार दलितों पर हो रहे अपराध को रोकने में फैल हो रही है जिससे सरकार की दलित विरोधी सोच का पता चलता है।
दलित नेता रवि कुमार ने भी सरकार पर दलित और असहाय लोगों पर हो रहे अत्याचारों पर लगाम लगाने में सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े किये। उन्होंने कहा कि अगर सरकार जल्द प्रदेश में दलितों से हुए अत्याचारों में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई नहीं करती है तो भविष्य में सरकार को इसके दूरगामी परिणाम भुगतने होंगे। प्रदेश में दलित समाज उग्र आंदोलन करने को मजबूर होगा।