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कांग्रेस और बीजेपी में धधकती विरोध की चिंगारियां फूंकेंगी किसका घर?

पी. चंद |

कांग्रेस कार्यालय राजीव भवन में हुए खूनी संघर्ष के बाद कांग्रेस पर हमले करने वाली बीजेपी के अंदर भी आपसी कलह कम नहीं है। वर्चस्व की अंधी दौड़ में किसी का सिर फूट रहा है तो किसी के गिरेवान तक हाथ जाता है। इसका ताज़ा उदाहरण बीते बुधवार को नगर निगम की मासिक बैठक में देखने को मिला। यहां बीजेपी की पार्षद आरती चौहान इतनी उग्र हो गई कि अपनी सीट पर बैठे डिप्टी मेयर के गिरेवान तक पहुंच गई। इसकी अब चौतरफ़ा निंदा हो रही है।

वहीं, कांग्रेस को भी अब बैठे बिठाए एक मुद्दा मिल गया है या यूं कहें कि कांग्रेस को पलटवार के लिए एक मुद्दा मिल गया है। कांग्रेस महासचिव नरेश चौहान ने निगम की बैठक में हुए हंगामें की कड़े शब्दों में निंदा की है। उन्होंने बताया कि जब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हुई तो मुख्यमंत्री और मंत्री ने कहा कि कांग्रेसी इस तरह के कार्यक्रमों में हलमेट पहन कर जाएं। अब क्या बीजेपी पर भी ये बात लागू होती है?

नरेश चौहान ने कहा कि कांग्रेस भवन में तो कांग्रेसी कार्यकर्ता ही आपस मे भिड़े थे लेकिन बीजेपी में तो जनप्रतिनिधि सरेआम लड़ रहे हैं। बीजेपी बताए कि इस तरह का व्यवहार चुने हुए प्रतिनिधियों को शोभा देता है। उन्होंने आरोप लगाया कि बीजेपी पहली मर्तबा निगम की सत्ता में काबिज़ हुई, लेकिन पिछले दो साल के कार्यकाल में बीजेपी ने आपसी तनातनी के अलावा कुछ नहीं किया। कभी बीजेपी के पार्षद मेयर को हटाने की मुहिम चलाते हैं कभी डिप्टी मेयर के साथ हाथापाई पर उतर आते हैं। ऐसे प्रतिनिधियों को ये शोभा नहीं देता है।