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चंबा: बंदरों के आतंक से लोग परेशान, खेती-बाड़ी छोड़ने को हुए मजबूर

मृत्युंजय पुरी |

चंबा जिला में बंदरों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है। यहां बंदरों की संख्या इतनी बढ़ती जा रही है कि हर घर की छत पर हर कूड़ादान के सामने बंदर आपको दिखाई देंगे। अब तो यह बंदर रास्ते चलते लोगों को भी तंग करने लगे हैं। स्कूल जाते समय बच्चों के समान भी यह उत्पाती बंदर छीन लेते हैं। अगर कोई बाजार से  समान खरीद के लाते हैं तो उनसे भी बंदर छीना झप्पटी करते हैं। कई बार बंदर लोगों को काट भी चुके हैं जिसकी वजह से उन्हें अस्पताल तक जाना पड़ा है।

बंदरों का आतंक इतना बढ़ गया है कि लोगों ने खेती-बाड़ी करना तक छोड़ दिया है। गलती से अगर खिड़कियां दरवाजा खुला रह जाए तो बंदर अंदर घुसकर पूरी तरह से उत्पात मचाते हैं। पिछली सरकार ने बंदरों से लोगों को निजात दिलाने के लिए नसबंदी का कार्यक्रम चलाया था लेकिन बावजूद उनके बंदरों की संख्या घटने के बजाय और भी बढ़ गई है।

स्थानीय लोगों ने बताया उनके मुहल्लों में बंदरों का पूरी तरह से आतंक फैला हुआ है। बंदर उनके घरों में घुसकर सामान को उथल-पुथल कर देते हैं। बच्चों को स्कूल आने जाने में भी दिक्कत होती है। क्योंकि बंदर उनके हाथ से सामान छीन कर भाग जाते हैं और हमेशा ही बच्चों को चोट लगने का डर रहता है। लोगों ने बताया कि पहले यह बंदर इतने नहीं हुआ करते थे लेकिन सुनने में आया है कि शिमला से बंदर पकड़कर खजियार, डलहौजी और जोत में छोड़े गए हैं।

वही, बंदर अब बर्फबारी के बाद रिहायशी इलाकों में पहुंच गए हैं क्योंकि जंगलों में पेड़ों के कटान की वजह से बंदरों के खाने वाले फलदार जो पेड़ हैं उन्हें नष्ट कर दिया गया जिसकी वजह से खाने की तलाश में बंदर शहरी इलाकों में पहुंच गए हैं और यहां यह उत्पात मचा रहे हैं। लोगों का कहना है कि उन्होंने बंदरों की वजह से खेती-बाड़ी करना छोड़ दिया है। कभी उनके बगीचे हुआ करते थे लेकिन इन बंदरों की वजह से वह भी सारे नष्ट हो चुके हैं। लोगों ने सरकार से आग्रह किया है की इन बंदरों से उन्हें निजात दिलाने की कोई योजना बनाई जाये ताकि इनसे बचा जा सके।