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मछुआरों के लिए वरदान साबित होगी ‘नील क्रांति’, बढ़ेंगे स्वरोजगार के अवसर

सुनील ठाकुर, बिलासपुर |

पंचायती राज मंत्री वीरेंद्र कंवर ने प्रदेश शीतजल मत्स्य पालन विकास और चुनौतियों पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि किसानों की आय को 2022 तक दौगुणा करने के प्रधानमंत्री के सपने को साकार करने के लिए प्रदेश में नील क्रांति मछुआरों के लिए वरदान साबित होगी। इससे मछुआरे आर्थिक रूप से मजबूत होकर समाज की मुख्यधारा से जुड़ेंगे और युवाओं के लिए भी स्वरोजगार के अवसर उपलब्ध होंगे।

मंत्री ने कहा कि इस सेमीनार के माध्यम से प्रदेश के अलावा बाहरी राज्यों से आए विशेषज्ञों व मत्स्य पालकों के अनुभवों का लाभ प्राप्त करके ट्राऊट पालकों के उत्थान की दिशा में और अधिक बेहतर कार्य करने की प्रेरणा मिलेगी ताकि अधिक से अधिक युवा इस व्यवसाय से जुड़कर अपने लिए स्वरोजगार के अवसर पैदा कर सकें। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए भी प्रदेश में विभिन्न जलाश्यों में मेगा एक्यूरियम स्थापित करने के लिए केन्द्र सरकार के समक्ष प्रस्ताव भेजा गया है।

कंवर ने कहा कि मछली उत्पादन में बढौतरी लाने के लिए स्थानीय मछुआरों को हैचरी लगाने के लिए भी प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रदेश में घट रहे मछली उत्पादन की वास्तविक स्थिति की जानकारी के लिए कलकत्ता के मत्स्य पालन संस्थान से सर्वे करवाया जा रहा है। मत्स्य पालन व्यवसाय को बढ़ावा देने के लिए अनेकों योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है। मत्स्य पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य पालन को कृषि व्यवसाय से जोड़ने के भी प्रयास किए जा रहे हैं ताकि किसानों को मिलने वाली सभी सुविधाएं और लाभ मत्स्य पालन का व्यवसाय करने वाले लोगों को भी मिल सके।

इस मौके पर स्थानीय विधायक सुभाष ठाकुर ने कहा कि जिला बिलासपुर में मत्स्य पालन के व्यवसाय की आपार संभावनाएं हैं। युवा वर्ग इस व्यवसाय को अपनाकर अपने लिए स्वरोजगार के साधन पैदा करके अपने परिवार की आर्थिकी को भी सुदृढ़ करके जीवन स्तर में सुधार ला सकते हैं। मछली पालकों को मछली उत्पादन के लिए बीज बाहरी राज्यों से लाना पड़ता है जो कि प्रदेश के तापमान के अनुकुल न होने के चलते मछली उत्पादन में कमी लाता है। उन्होंने कहा कि मछली पालक यदि मछली के बीज का उत्पादन अपने क्षेत्र के तापमान के अनुसार स्थानीय स्तर पर करेंगे तो निश्चित रूप में मछली उत्पादन में बढौतरी होगी। उन्होंने कहा कि गोबिंद सागर प्रदेश का बहुत बड़ा जलाश्य है यहां पर मेगा एक्यूरिम के स्थापित होने से जहां मछुआरों की आय में बढ़ौतरी होगी वहीं पर्यटकों की आमद भी बढ़ेगी।

निदेशक एवं प्रारक्षी मत्स्य, सतपाल मेहता ने कहा कि मछली पालन देश में बढ़ती जनसंख्या के लिए पौष्टिक (प्रोटीन) आहार उपलब्ध करवाने के साथ-साथ आय बढ़ाने में महत्पूर्ण भुमिका निभा रहा है। उन्होंने कहा कि विभाग प्रदेश में मछली उत्पादन को बढ़ाने एवं विभिन्न स्त्रोतों को वास्तविक स्वरूप में बनाए रखने के लिए प्रयासरत है जिसके लिए विभाग द्वारा विभिन्न विकासात्मक योजनाओं का क्रियान्वयन किया जा रहा है।