हिमाचल में कैंसर को लेकर चौकाने वाले आंकड़े सामने आए है। विधानसभा के बजट सत्र के प्रश्नकाल में डलहौज़ी की कांग्रेसी विधायक आशा कुमारी ने स्वास्थ्य मंत्री से पूछा कि शिमला के आईजीएमसी और अन्य अस्पतालों में कीमोथेरेपी करवाने हर दिन कितने मरीज़ पहुंचते हैं??.. इनके इलाज़ के लिए कितने प्रशिक्षित कार्यरत हैं? और कितने कैंसर मरीज इलाज के लिए बाहर जा रहे हैं? क्या स्वास्थ्य विभाग मेडिकल ऑन्कोलॉजी को डेवेलोप करने का विचार रखता है?
जबाब में स्वास्थ्य मंत्री विपिन परमार ने बताया कि आईजीएमसी शिमला में कीमोथेरेपी के लिए हर दिन 40 से 60 मरीज़ पहुंचते है। टांडा में 12 से 24 मरीज़, मंडी में 4 से 5 मरीज़ और चम्बा में 5 से 6 मरीज़ हर दिन कीमोथेरेपी के लिए आते हैं। कोई भी वयस्क मरीज़ इलाज के लिए राज्य से बाहर नहीं भेजा गया। जबकि, 2018 में 4 पेडीआर्टिक पेशेंट्स पीजीआई रेफर किए गए। प्रदेश सरकार मेडिकल ऑन्कोलॉजी को अलग से स्थापित करने का विचार रखती है। साथ मे आईजीएमसी में टीसीसीसी पर काम चल रहा है। टांडा व मंडी में भी मूलभूत सुविधाएं मुहैया करवाई जाएंगी।
बीजेपी के विधायक राकेश पठानिया ने इस पर सवाल उठाया कि टांडा में कोई कीमोथेरेपी नहीं हो रही है। शिमला में कैंसर के बहुत सारे मरीज आते हैं साथ में बाहर भी कई मरीज़ भेजे जा रहे हैं। ये जबाव गलत है।
इसके जबाव में स्वास्थ्य मंत्री ने सफाई दी कि टर्सरी केयर सेंटर में 2500 के लगभग मरीज़ हर महीने पंजीकृत हो रहे हैं।