देश-विदेश में आज के दिन बेशक वैलेंटाइन मनाया जाता हो, लेकिन इसके साथ-साथ भारत और विदेश में भी हिंदी सिनेमा की अदाकारा मधुबाला का याद किया जा रहा है। भारतीय फिल्म इंडस्ट्री की सबसे ख़ूबसूरत अभिनेत्री का जन्म आज यानी 14 फ़रवरी 1933 को हुआ था। मधुबाला 1933 में दिल्ली में पैदा हुई थीं और हिंदी सिनेमा से उनकी पहचान पूरी दुनिया में बनी। गूगल ने उनके जन्मदिन पर डूडल के जरिये उनको याद किया है।
मधुबाला को पूरी दुनिया जिस नाम से जानती है ये उनका असली नाम नहीं है। उनका असली नाम मुमताज ज़ेहान देहलवी है। मधुबाला के पिता का नाम अताउल्लाह और माता का नाम आयशा बेगम था। जन्म के समय पिता ने उनका नाम मुमताज जेहान देहलवी रखा था, जिसे बाद में हिंदी सिनेमा की मशहूर अभिनेत्री देविका ने बदलने का प्रस्ताव दिया। 1942 में जब उनकी पहली फिल्म 'बसंत' आई तो इससे उन्हें खूब पहचान मिली। उनके अभिनय को देखकर उस समय की जानी-मानी अभिनेत्री देविका रानी उनसे बहुत प्रभावित हुईं। इसके बाद उन्होंने मुमताज जेहान देहलवी को नाम बदलकर 'मधुबाला' के नाम रखने की सलाह दी। उसके बाद वह इसी नाम से पहचानी गईं।
1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार के साथ शादी कर ली औऱ दोनों बीमारी के इलाज के लिए लंदन चले गए। मधुबाला के इलाज में पता चला कि उनके दिल में छेद है और वे 2 साल से ज्यादा जिंदा नहीं रह सकती। 1969 में 36वां जन्मदिन मनाने के नौ दिन बाद 23 फरवरी,1969 को बेपनाह हुस्न की मल्लिका दुनिया को छोड़कर चली गईं।
मधुबाला से जुड़ी कुछ ख़ास बातें…
- मधुबाला को उन्हें अभिनय के साथ-साथ उनकी अभुद्त सुंदरता के लिए भी जाना जाता है।
- उन्हें 'वीनस ऑफ इंडियन सिनेमा' और 'द ब्यूटी ऑफ ट्रेजेडी' जैसे नाम भी दिए गए।
- इनके पिता पेशावर की एक तंबाकू फैक्ट्री में काम करते थे। उसके बाद दिल्ली चले गए।
- उनमें बचपन से ही सिनेमा में काम करने की तमन्ना थी, जो आखिरकार पूरी हो गई।
- वर्ष 1947 में आई फिल्म 'नील कमल' मुमताज के नाम से आखिरी फिल्म थी।
- इसमें उन्होंने महज चौदह वर्ष की मधुबाला ने राजकपूर के साथ काम किया। 'नील कमल' में अभिनय के बाद से उन्हें सिनेमा की 'सौंदर्य देवी' कहा जाने लगा।
- 1958 तक उन्होंने भारतीय सिनेमा को 'फागुन', 'हावड़ा ब्रिज', 'काला पानी' और 'चलती का नाम गाड़ी' जैसी सुपरहिट फिल्में दीं।
- वर्ष 1960 के दशक में मधुबाला ने किशोर कुमार से शादी कर ली। शादी से पहले किशोर कुमार ने इस्लाम धर्म कबूल किया और नाम बदलकर करीम अब्दुल हो गए।