वेदों पुराणों से लेकर पहाड़ी प्रदेश हिमाचल को देवभूमि के नाम से जाना जाता है। इसमें सबसे ज्यादा मंदिरों की संख्या मंडी में है। यही वजह है कि मंडी को छोटी काशी के नाम से भी जाना जाता है। मंडी में लगभग 80 देवी-देवताओं के विभिन्न शैलियों के प्राचीन मंदिर और शिवालय हैं। इन मंदिरों में मंडी के बाबा भूतनाथ मंदिर का शिवलिंग स्वयंभू प्रकट हुआ माना जाता है।
कहा जाता है कि बाबा भूतनाथ का मंदिर राजा अजबर सेन ने 16वीं शताब्दी में बनवाया था। ऐसा माना जाता है कि पुरानी मंडी से व्यास नदी के दूसरी ओर जहां पर वर्तमान मंडी शहर बसा है। उस समय यह स्थान जंगल हुआ करता था। पुरानी मंडी के एक ग्वाले की कपिल नाम की गाय हर दिन नदी पार कर जंगल में घास चरने जाया करती थी और शाम को वापस घर लौट आती थी। यह गाय भूतनाथ मंदिर के पास खड़ी हो जाती थी। उसके थनों से अपने आप ही दूध की धारा निकलने लगती थी।
ग्वाले ने जब इस चमत्कार को देखा तो इसकी सूचना राजा अजबर सेन को दी। राजा ने आकर इस घटना को देखा। भोलेनाथ ने राजा अजबर सेन को स्वप्न में दर्शन दिए और जल कल्याण के लिए शिव मंदिर स्थापित करने और इसके आसपास नई मंडी नगर बसाने का आदेश दिया। स्वप्न के अनुरूप ही राजा ने भव्य शिखर शैली के शिव मंदिर का निर्माण करवाया। जहां पर उन्हें बाबा भूतनाथ शिवलिंग के रूप में दर्शन हुए थे।
भूतनाथ मंदिर के आसपास राजा ने नया मंडी नगर बसाया जो आज शिवरात्रि पर्व के नाम से जाना जाता है। बाबा भूतनाथ के प्रकाट्य के कारण ही महा शिवरात्रि का पर्व अस्तित्व में आया है । ये अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव अब विश्वविख्यात हो चुका है। बाबा भूतनाथ के दर्शन के लिए देश विदेश के पर्यटकों का जमाबड़ा लगता है।
महाशिवरात्रि पर्व के साथ ही अन्तरराष्ट्रीय मंडी मेला 5 मार्च को शाही जलेब के साथ शुरू हो जाएगा। इसका शुभारंभ मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर करेंगे। 7 दिन तक चलने वाले शिवरात्रि मेले में में मंडी जिला के 216 देवी-देवता अपने देवलुओं, कारदारों, गूरों और बजंतरियों के साथ भाग लेंगे।