शिक्षा का नया सीजन आते ही अपने-अपने शिक्षण संस्थानों चाहे स्कूल हो या फिर बच्चों के भविष्य का फैसला करने वाली कोचिंग संस्थान, हर जगह एडमिशन पर कमिशन का धंधा जोरों पर चल रहा है। बेशक सरकार ने नए-नए नियम एडमिशन को लेकर बना दिए हैं लेकिन अब स्कूल्ज ने भी अलग फार्मूला ढूंढ़कर इसकी जगह अब फीस में ही बढ़ोतरी कर दी है। लेकिन ये अलग विषय है और इस पर तभी कोई कार्रवाई हो सकती है जब बच्चों के अभिभावक भी जागरूकता दिखाएं।
इन सबके बीच लाखों करोड़ों का बिजनेस बाहरवीं पास कर चुके बच्चों के माध्यम अकेडमीयां भी पूरे प्रदेश में करती हैं। यहां पर दाखिला दिलवाने के लिए जहां फेक विग्यापनों का कुछ शिक्षण अकादमीयां भरपूर प्रयोग करती हैं। वहीं बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ के लिए और सिर्फ पैसा कमाने के चक्कर में कमिशन पर एजेंट भी खूब काम करते हैं।
सूत्रों की मानें तो एक एडमिशन क्रैश कोर्स में लेने पर ही फीस का 20 से 30 फीसदी का हिस्सा इनके खाते में चला जाता है। जबकि अकेडमी में एडमिशन के लिए भी अभिभावकों को खूब बरगलाया जाता है। लेकिन बाद में बच्चों का भविष्य ही दांव पर लग जाता है। इसको लेकर कुछ अकादमी के मालिक मानते हैं की बिज़नेस में सब चलता है। इसी लिए हमें अपने पीक सीजन में सभी कुछ करना पड़ता है और मसला एडमिशन तक ही होता है।
इस विषय को लेकर चाणक्य अकादमी, ग्रेविटी के मालिक भी मानते हैं की इससे बच्चों और अभिभावकों का विश्वास कम हुआ है और झूठी एड्वर्टाइजमेंट करके, कोई फ्री क्रैश की बात करके, कोई कम पैसे में क्रैश कोर्स की बात करके सिर्फ बरगलाने का काम करते हैं। जबकि इससे बच्चों के भविष्य को लेकर जरूर नुक्सान होता है, जबकि बच्चा पहले ही इस दौर में अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहता है। इसलिए इस तरह की प्रैक्टिस से सबको सावधान रहना चाहिए।