प्रदेश में निज़ी स्कूलों की लूट लगातार जारी है। हर साल नियमों को ताक पर रखकर मनमानी फ़ीस वृद्धि, किताबों कॉपियों में धांधली, वर्दियों की खरीद पर दुकानदारों से मिलीभगत का कमीशन निज़ी स्कूलों की फितरत बन चुकी है। लेकिन शिक्षा विभाग कार्यवाही करने के बजाए कुम्भकर्णीय नींद सोया हुआ है। ऐसे स्कूलों पर खुद नकेल कसने के आदेश जारी कर कार्यवाही करना भूल जाता है। शिक्षा विभाग को कुम्भकर्णीय नींद से जगाने के लिए छात्र अभिभावक मंच ने आज शिक्षा निदेशालय का घेराव कर दिया और विभाग के ख़िलाफ़ जमकर नारेबाज़ी की। मंच ने शिक्षा मंत्री के ख़िलाफ़ भी नारेबाजी की।
छात्र अभिभावक मंच के अध्यक्ष विजेंद्र मेहरा का कहना है कि शिमला सहित समूचे प्रदेश में निज़ी स्कूलों को लूट चल रही है। बाबजुद इसके शिक्षा विभाग इन स्कूलों पर कार्यवाही करने के बजाए इनको संरक्षण दे रहा है। उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग ने 1472 स्कूलों को नोटिस जारी कर जबाब तलब किया लेकिन मात्र 53 स्कूलों ने जबाब दिया। इससे पता चलता है कि शिक्षा विभाग स्कूलों के साथ मिला हुआ है। इसलिए उनके आदेशों को स्कूल गंभीरता से नहीं लेते हैं। निज़ी स्कूल एक बच्चे से 24 से 50 हज़ार सालाना फ़ीस बसूल रहे हैं। जबकि बल्ड़िंग फण्ड और एडमिशन फ़ीस की लूट अलग से ली जाती है। ये स्कूल न्यायालय के आदेशों सहित सीबीएसई की गाइडलाइंस को भी दरकिनार कर रहे है और करोड़ों का मुनाफ़ा कमा रहे है।