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शिमला: मनमानी लूट, शिक्षा के मंदिर निज़ी स्कूल बन गए उगाही की मशीन

पी. चंद |

शिमला के निज़ी स्कूलों की लूट लगातार जारी है। आज हमारे हाथ शिमला पब्लिक स्कूल के नई और पुरानी दोनों फ़ीस बुक लगी हैं जिसमें साफ दिख रहा है कि कैसे ये स्कूल खुली लूट पर उतर आए हैं। शिमला पब्लिक स्कूल ने 2018 में छात्रों से 4 किस्तों में से 6900 पहली क़िस्त वसूली जिसमें 1500 एनुअल चार्ज, 4800 3 महीने की फ़ीस और 300 रुपए कंप्यूटर और 300 रुपए स्मार्ट क्लास फ़ीस शामिल थी। जो 2019 में बढ़कर 8100 हो गई यानि कि 1200 रुपए की पहली ही क़िस्त में सालाना बढ़ोतरी कर दी गई। इसमें 6000 तीन माह की फ़ीस, 1500 एनुअल चार्ज, 300 स्मार्ट क्लास फीस और 300 ही कंप्यूटर फ़ीस, यानी कि साल में सीधा 4800 रुपए की वृद्धि।

यहां ये भी समझना जरूरी है कि यदि आप 6000 फ़ीस ले रहे हैं तो फिर 600 रुपए स्मार्ट क्लास और कंप्यूटर फ़ीस के अलग क्यों? ये तो एक स्कूल है जिसकी असलियत हम आपको दिखा रहे हैं। ऐसे ही शिमला के प्रतिष्ठित स्कूल, सेंट एडवर्ड, तारा हाल, स्टोक्स मेमोरियल स्कूल, ऑकलैंड हाउस चेलसी, डीएवी, दयानंद और अन्य निज़ी स्कूलों के हैं। जिनके अभिभावक स्कूलों के डर के मारे अपनी फ़ीस बुक तक नहीं दिखाते हैं।

इन सभी स्कूलों ने वर्दी और जूतों का ठेका भी 2 दुकानदारों को दे रखा है। एक मदर चॉइस और दूसरा पब्लिक चॉइस जो कि मनमाने रेट वसूलते हैं। 100 रुपए की वर्दी तीन गुना रेट पर बेचते हैं। किताबों की दुकान भी तय है जहां से स्कूलों के नाम की कॉपियां भी खरीदनी पड़ती हैं। लेकिन पूछने वाला कोई नहीं क्योंकि यहां भी स्कूलों की कमीशन जुड़ी हुई है। स्कूल की यानी कि निज़ी स्कूल शिक्षा का मंदिर न रहकर धंधे से पैसा कमाने का अड्डा बन गए हैं। न इन स्कूलों को जिला प्रशासन का डर है न शिक्षा विभाग का, न सरकार के ना ही न्यायालय का, ऐसे में सबसे महत्वपूर्ण शिक्षा क्षेत्र में मनमानी लूट जारी है।