बीजेपी में पूर्व केंद्रीय मंत्री पंडित सुखराम का दबाव कहीं न कहीं काम करता नज़र आने लगा है। जिससे बीजेपी में बदलाव के संकेत नजर आ रहे हैं। इसका पहला संकेत कल बड़े नेताओं के बयान से मिल चुका था। जब प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने भी टिकट आवंटन पर हाई कमान की फाइनल मोहर की बात कही। उसके बाद मुख्यमंत्री जयराम ने सिराज ने जनसभा में ये तो जरूर कहा की राम स्वरूप ने बढ़िया काम किया है। लेकिन, उन्होंने भी उनकी उम्मीदवारी को लेकर कहा की हाईकमान का निर्णय से ही स्थिति साफ़ होगी।
बेशक हिमाचल बीजेपी की कोर कमेटी ने मंडी संसदीय सीट पर मौजूदा सांसद रामस्वरूप शर्मा पर ही दोबारा दाव खेलने पर सहमति जताई हो, मगर पंडित सुखराम के पोते आश्रय शर्मा प्रचार में जुटे हैं। बीजेपी के बड़े नेताओं के विरोध के बाद भी लोग घरों से निकल कर उनके समर्थन में रहें हैं।
वहीं, महेश्वर सिंह भी लगातार टिकट की दौड़ में बने हुए हैं। माना जा रहा है की टिकट के लिए पूरे प्रदेश में सबसे अधिक जोर आजमाईश अगर बीजेपी में कहीं हो रही है तो वो मंडी संसदीय क्षेत्र है।
सूत्रों की माने तो मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर रामसवरूप को, केंद्रीय मंत्री नड्डा महेश्वर सिंह को तो पंडित सुखराम खुद ही अपनी लड़ाई अपने जनाधार के दम पर लड़ते नज़र आ रहे हैं। ऐसे में मंडी की रोचक स्थिति बनी हुई है और महेश्वर सिंह और सुखराम भी लगातार टिकट की पैरवी के लिए दिल्ली में ही डेरा जमाए हुए हैं।
ऐसे में देखना ये हैं कि कौन सा नेता आज के दौर में प्रदेश में अधिक प्रभावशाली नज़र आएगा और ये स्तिथि मंडी टिकट से ही स्पस्ट हो जाएंगी। क्योंकि, कहीं न कहीं पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की फीडबैक भी महत्वपूर्ण हो सकती है। वहीं, आश्रय शर्मा कह रहे हैं की वो दादा की इच्छा को पूरा करने के लिए चुनावी मैदान में हैं और जीतकर ये सीट बीजेपी की झोली में डालेंगे।