कम्युनिस्ट पार्टी ने प्रदेश सरकार से मांग करते हुए कहा कि केंद्र सरकार से उसके द्वारा केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान में बीज आलू के उत्पादन को बंद करने के निर्णय को तुरंत वापिस लेने की बात करे। और यदि कोई समस्या है तो इस समस्या का शीघ्र समाधान निकाला जाए। केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान शिमला में 1935 से कार्यरत है और इसने कई तरह की नई किस्मों को तैयार कर देश मे आलू की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। पूरे देश में बीज आलू की आपूर्ति के लिए यह संस्थान जाना जाता हैं। एकदम केंद्र सरकार द्वारा इस संस्थान में बीज आलू के उत्पादन पर बिना किसी वैज्ञानिक जांच परख के रोक लगाना न्यायसंगत नहीं है।
कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा कि कहीं केंद्र सरकार ने निजी कंपनियों के दबाव में आकर ये फैसला तो नहीं लिया। आज भी कई बीज आलू का कारोबार करने वाली निजी कंपनियां केंद्रीय आलू अनुसंधान संस्थान के कुफरी स्थित फार्म में बीज ब्रीडिंग के लिए आते हैं। क्योंकि यहां के आलू में आने वाले फूलों के संख्या और गुणवत्ता बीज उत्पादन के लिए अन्य राज्यों से बहुत बेहतर है।
प्रदेश की आर्थिकी में बीज आलू का महत्वपूर्ण योगदान है। क्योंकि इस पहाड़ी राज्य के हर जिला में ही इसका उत्पादन होता है और मैदानी क्षेत्रों से लेकर जनजातीय क्षेत्रों तक का किसान इससे अपना गुजारा करता है। लाहौल स्पीति के बीज आलू की मांग तो आज भी देश के विभिन्न राज्यों में है और वहां के किसानों का यह मुख्य रोजगार का साधन भी है। इस निर्णय से प्रदेश की कृषि पर बेहद बुरा असर पड़ेगा और किसानों की निजी कंपनियों की लूट के कारण उनकी आर्थिक स्थिति पर भी प्रतिकूल प्रभाव होगा। प्रदेश में कृषि का संकट और विकराल होगा।