लोकसभा चुनावों से पहले अनुराग ठाकुर के लिए राहत भरी खबर आई है। सुप्रीम कोर्ट ने एचपीसीए के खिलाफ चल रहे सभी मामलों को खत्म कर दिया है। जयराम सरकार ने सत्ता में आने के बाद फैसला लिया था कि राजनीतिक आधार पर बने केस खत्म किए जाएंगे। कैबिनेट के इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट को अवगत करवाया गया। बाद में सुप्रीम कोर्ट ने नवंबर 2018 में इस मामले में एफआईआर खारिज करने के आदेश दिए। उसके बाद जरूरी औपचारिकताएं पूरी हुई और अब केस खत्म हो गया है।
धर्मशाला में ट्रायल कोर्ट के समक्ष सारी औपचारिकताएं आई थी। ट्रायल कोर्ट यानी स्पेशल जज धर्मशाला की अदालत ने सारी औपचारिकताओं का अवलोकन किया और राज्य सरकार को एचपीसीए के खिलाफ केस खत्म करने के आदेश दिए। वहीं इस बारे में अनुराग ठाकुर का कहना है कि ये सभी केस बदले की भावना से बने थे ना कि सच के आधार पर। और अब जो ये कोर्ट का फैसला आया है उससे ये सपष्ट होता है कि सच की हमेशा जीत होती है।
HPCA के खिलाफ मामले राजनीतिक रूप से चर्चित हुए
गौरतलब है कि वीरभद्र सिंह के शासनकाल में एचपीसीए पर कुछ मामले दर्ज किए गए। ये मामले एचपीसीए को नियमों के खिलाफ लाभ पहुंचाने से संबंधित थे। इन मामलों में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर सहित पूर्व आईएएस दीपक सानन भी घेरे गए थे। आरोप था कि एचपीसीए को धर्मशाला में नियमों के खिलाफ जमीन लीज पर दी गई। फिर सरकारी जमीन से पेड़ काटने और सरकारी ईमारत को गिराने के मामले दर्ज हुए थे। अनुराग ठाकुर और एचपीसीए ने हिमाचल हाईकोर्ट सहित सुप्रीम कोर्ट में ये केस लड़े।
अनुराग ठाकुर साल 2000 में हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन के अध्यक्ष बने थे। साल 2016 के मई महीने में वे बीसीसीआई के चीफ बने। इससे पहले वे बीसीसीआई के संयुक्त सचिव थे। अनुराग ठाकुर ने एचपीसीए के अध्यक्ष रहते हुए धर्मशाला में क्रिकेट मैदान बनाने का सपना देखा था। मैदान के साथ ही हिमाचल प्रदेश क्रिकेट एसोसिएशन ने वहां पेविलियन होटल का निर्माण किया। इसी बीच, एचपीसीए पर होटल के निर्माण के लिए सरकारी भूमि से 400 से अधिक पेड़ अवैध तौर पर काटने का आरोप लगा।
हिमाचल में वीरभद्र सिंह नेतृत्व में कांग्रेस सरकार सत्ता में आई तो 29 नवंबर 2013 को इस मामले में एफआईआर दर्ज की गई। इस मामले में एचपीसीए अध्यक्ष अनुराग ठाकुर, सचिव विशाल मरवाह, पीआरओ संजय शर्मा, तत्कालीन तहसीलदार जगदीश राम, फॉरेस्ट रेंज ऑफिसर विधि चंद, कानूनगो कुलदीप कुमार और पटवारी जगतराम को भी आरोपी बनाया गया। एचपीसीए ने हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की और कहा कि ये मामला सिविल नेचर का है, लेकिन तत्कालीन सरकार और सीएम वीरभद्र सिंह की निजी दिलचस्पी से इस मामले को क्रिमिनल बनाया गया। लंबी कानूनी लड़ाई के बाद अनुराग ठाकुर और एचपीसीए अब इस सारे मामले से क्लीन हो गए हैं।