पूर्व मुख्य सचिव पी. मित्रा से जुड़े मामले में पंचकूला के कारोबारी विनोद मित्तल के वॉयस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट करवाने के आदेशों को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई 21 मई के लिए टल गई है। आरोपी को वॉइस सैंपल देने के लिए कानूनन बाध्य किया जा सकता है या नहीं, यह मुद्दा सुप्रीम कोर्ट के समक्ष लंबित है।
उल्लेखनीय है कि उक्त कथित भ्रष्टाचार के मामले में तत्कालीन प्रधान सचिव राजस्व पी मित्रा भी आरोपी हैं। करीब 9 साल पुराने इस मामले में विजिलेंस ने केस दर्ज किया है। विजिलेंस के पास आरोपियों के बीच हुई बातचीत की रिकॉर्डिंग है। इसमें पी. मित्रा के अलावा विनोद मित्तल और अन्य व्यक्ति के बीच बातचीत की आशंका जताई गई है। इसकी पुष्टि के लिए वॉयस सैंपल के साथ पॉलीग्राफ टेस्ट करवाया जाना है।
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हिमाचल में गैर हिमाचलियों को भू-राजस्व अधिनियम की धारा 118 के तहत जमीन खरीदने की अनुमति लेना जरूरी है। अभियोजन पक्ष के अनुसार 21 मार्च 2011 को आरोपी विनोद मित्तल राजस्व के आला अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए 5 लाख रुपये लेकर शिमला आया।
उन्हें पुराने बस अड्डा शिमला में विजिलेंस ने पकड़ लिया गया था। जांच के दौरान विजिलेंस ने आरोपियों की आपसी बातचीत बारे पुख्ता सबूत इकट्ठे किए और उन्हें साबित करने के लिए आरोपी विनोद मित्तल के वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट की इजाजत के लिए निचली अदालत में आवेदन किया था। जिसे निचली अदालत ने स्वीकारते हुए विजिलेंस को विनोद मित्तल का वॉइस सैंपल और पॉलीग्राफ टेस्ट लेने की अनुमति दे दी थी।