हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से 130 किलोमीटर दूर रामपुर बुशहर में हर साल बसंत आगमन की खुशी में मनाया जाने वाला फाग उत्सव का शुरू हो गया है। मेले का मुख्य आकर्षण देव नृत्य और शोभा यात्रा होती है। मेले में देवलू और उन के साथ आए नर्तक दल पारम्परिक वेश भूषा में देव वाद्य यंत्रों की धुनों में खूब नृत्य करते है। पूर्व में जब संसाधन नही थे उस दौरान लोग सर्दियों के विकट परिस्थितियों के बाद आपस मे इसी मेले में आकर मिलते थे।
परम्परानुसार प्रथम दिन राजदरबार मुख्य द्वार पर नगर परिषद की ओर से सभी देवी देवताओं का विधिवत स्वागत किया जाता है। उस के बाद देवता परम्परा के अनुसार राज गद्दी को आशीर्वाद देते हैं, और राजपरिवार की ओर से भी पूजा की जाती है। यह रसम पूरा होते ही दरबार मैदान में दिनभर अपने अपने क्षेत्र के देवी देवताओं के आगे लोग देव वाद्य यंत्रों की थाप पर नृत्य करते हैं। लोग इस दौरान देवी देवताओं से मन्ते मांगते हैं और अपनी समस्याओं को भी सामने रखते है।
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इस उत्सव के बाद ही क्षेत्र में लगने वाले मेलों की शुरुआत होती है। पूर्व में जब यातायात और संचार साधन नही थे उस दौरान ऊपरी इलाके के लोग इस मेले में एक दूसरे से मिलते थे। क्योंकी सर्दियी में बर्फबारी और विकट मौसम के कारण एक दूसरे से कट जाते थे। जैसे ही बसन्त आगमन होता था और होली के दूसरे दिन लोग मीलों पैदल चल कर रामपुर पहुंचते थे। फाग मेले में रिश्तेदारों के हाल जानने के साथ खूब मनोरंजन होता था। लोग विकट सर्दियों से छुटकारा मिलने की खुशी मनाते थे।इस मेले के बाद लोग अपने अपने इलाको में जाकर खेती बड़ी और पशु पालन व्यवसाय में जुट जाते थे। आज भी देवी देवताओं की उपस्थिति में होली के दूसरे दिन से परम्परानुसार फाग उत्सव का आयोजन किया जाता है।