बिलासपुर में आयोजित हो रहे नलवाड़ी मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या पंजाबी सूफी गायक सतिंदर सरताज के नाम रही। अपनी गायकी के साथ अपने ही द्वारा ईजाद किया हुआ साज सरताज बजाने वाले सतिंदर सरताज को सुनने के लिए दर्शकों की इतनी भीड़ उमड़ी कि पंडाल में कुर्सियां कम पड़ कईं। इसके अलावा चंडीगढ़ की हिमांशी ने भी अपनी दिलकश खनकती आवाज का जादू बिखेर दर्शकों की खूब वाहवाही लूटी।
बिलासपुर में आयोजित हो रहे नलवाड़ी मेले की तीसरी सांस्कृतिक संध्या पर पंजाबी सूफी गायक सतिंदर सरताज के नाम रही। उनके द्वारा अपनी गायकी के साथ अपने ही द्वारा ईजाद किया हुआ साज सरताज बजाने वाले सतिंदर सरताज को सुनने के लिए दर्शकों की इतनी भीड़ उमड़ी कि पंडाल में पद कुर्सियां कम गई। पांडाल के पीची मौजूद युवाओं ने सरताज के गानों पर नाचते हुए खूब धमाल मचाया।
सतिंदर सरताज ने अपनी गायकी की शुरुआत "लाख हिसाब ते आए पर रसीद कोई ना "से की। सरताज ने ज्यों ही नया रोमांटिक गाना "लावां इश्के दे अम्बरी उडारियां ",साईँ वे साईँ साड्डी फरियाद तेरे ताईं ",व आरसी आरसी आरसी नई माए बोल्दा प्यार नाल ", त्यों ही दर्शक झूम उठे। इसके उपरान्त उन्होंने "सज्जण राजी हो जावे","निक्की झी कुड़ी "जैसे गीत गपश कर दर्शकों को खूब मंत्रमुग्ध किया। इससे पहले चंडीगढ़ की हिमांशी तनवर ने "माही वे मोहब्बतां सच्चियाँ ने ",कजरा मोहब्बत वाला ","आंख मारे जैसे गानों की पेश कर दर्शोकों का खूब मनोरंजन किया।