हिमाचल प्रदेश में लोकसभा चुनावों से पहले बीजेपी में बड़ा भूंचाल आया है। मंडी से वरिष्ठ नेता सुखराम और उनके पोते ने बीजेपी छोड़ कांग्रेस जॉइन कर ली है। इस पर प्रदेश बीजेपी का कहना है कि सुखराम और उनके पोते के जाने से पार्टी को कोई फ़र्क नहीं पड़ेगा। मंडी से उलटा उन्हें और लाभ मिलेगा, क्योंकि वीरभद्र के समर्थकों ने न पहले सुखराम परिवार को समर्थन दिया और न ही आगे देंगे। इसका सीधा लाभा बीजेपी को होगा और यहां से बीजेपी और भी ज्यादा मतों से जीत हासिल करेगी।
मंत्री अनिल शर्मा को लेकर पूछे गए सवाल पर बीजेपी अध्यक्ष सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि अनिल शर्मा को अपना भविष्य़ खुद तय करना है। उनके पिता सुखराम और बेटे आश्रेय शर्मा ने अपना भविष्य खुद तय किया है और उन्हें भी इसका पूरा अधिकार है। बीजेपी का उनपर कोई दबाव नहीं है और जो भी हो वे अपना फ़ैसला ख़ुद ले सकते हैं।
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सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि कांग्रेस पार्टी की आज ये दूर्दशा हो चुकी है कि वे टिकट के लिए 50 हज़ार लेकर आवेदन मांग रही है। जिन लोगों ने आवेदन किया है, उनपर चर्चा तक नहीं की जा रही है और उधार के उम्मीदवार चुनावों में उतारे जा रहे हैं।
'कांग्रेस नेता खुद को समझते हैं 'तीस मार ख़ान''
उन्होंने कहा कि कांग्रेस के कुछ नेता खुद को बड़े तीस मार खान समझते हैं और बड़े-बड़े बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लेकर मीडिया में देते हैं। लेकिन मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि उम्मीदवारों के नामों की चर्चा होती है तो दुबक कर बैठ जाते हैं और क्यों चुनाव लड़ने से आनाकानी करते हैं। इससे स्पष्ट होता है कि प्रदेश में बीजेपी की लहर है और 4 में से 4 सीटें बीजेपी जीतने जा रही है। किसी के जाने से कोई नुकसान नहीं होगा फ़िर चाहे वे सुखराम हो या फिर सुरेश चंदेल।