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किसी भी मायने में प्राइवेट स्कूल से कम नहीं है ये सरकारी प्राइमरी स्कूल

सुनिल ठाकुर, बिलासपुर |

सरकारी स्कूल का नाम आते ही एक खंडहरनुमा स्कूल, गायब शिक्षक, थोड़े से गांव के मैले कुचैले बच्चे, बैठने के लिए कुछ के पास टाट पट्टी, स्टेशनरी के नाम पर फटी पुरानी किताबें और लगभग शून्य पढ़ाई का ख्याल आता है। लेकिन, यही सरकारी स्कूल कमाल कर सकते हैं। प्राइमरी शिक्षा से वे बच्चों को आगे की राह दिखा सकते हैं।

लेकिन आज हम ऐसे सरकारी स्कूल की बात करने जा रहे हैं जो किसी भी मायने में प्राइवेट स्कूलों से कम नहीं है। जी हां, ये सरकारी स्कूल जिला बिलासपुर के विधानसभा क्षेत्र नैना देवी में कलर पंचायत में एक प्राइमरी स्कूल है।  इस प्राइमरी स्कूल में अध्यापक और एसएससी द्वारा बच्चों के लिए कंप्यूटर की सुविधा भी उपलब्ध करवाई जा रही है। जिसमें लोगों का भारी सहयोग रहा है। मुख्याध्यापक ने बताया कि हमारे स्कूल में पिछले साल से ही इंग्लिश मीडियम पढ़ाया जा रहा है और हमें अच्छा रिजल्ट मिल रहा है।

उन्होंने कहा कि अधिकतर लोग सरकारी स्कूलों को छोड़कर प्राइवेट स्कूलों में अपने बच्चों को पढ़ने के लिए जाते हैं। क्योंकि हमारे यहां पर ऐसा नहीं है हमारे स्कूल में प्राइवेट स्कूल से अच्छी पढ़ाई हो रही है और पढ़ाई के साथ साथ खेलो में भी हमारे बच्चे भाग ले रहे हैं। जिसको देखते हमारे एसएमसी प्रधान महेंद्र सिंह ने कुछ नया करने का सोचा और इस साल से बच्चों के लिए कंप्यूटर का इंतजाम किया जा रहा है। जिसमें कुछ कंप्यूटर हमारे पास उपलब्ध हो चुके हैं और कुछ आने वाले हैं। मुख्याध्यापक ने बताया कि कुछ लोग सोचते हैं कि सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाई होती है यह लोगों की गलत सोच है।

इसके साथ ही कुछ बच्चों के माता-पिता से बात की गई तो उन्होंने बताया कि लोग अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूल में डालते हैं फिर भी जो कार्य होता है बच्चों का घर को करने के लिए दिया जाता है लेकर यह लोगों की सोच है। जिन बच्चों में पढ़ाई करनी है वह सरकारी स्कूल में भी कर सकता है लेकिन, पहले हम भी सरकारी स्कूलों में पड़े हैं। पहले कहीं भी प्राइवेट स्कूल नहीं हुआ करते थे प्राइवेट स्कूलों में पैसा इकट्ठा करते हैं। सरकारी स्कूलों में बच्चों को किताबे , बैंग और बर्दी मुफ्त में दी जाती है।