छात्र अभिभावक मंच ने निजी स्कूलों की मनमानी, लूट और भारी फीसों के खिलाफ पिछले एक महीने से चल रहे आंदोलन के तहत लगभग दस हज़ार पैम्फलेट बांटकर व शिमला शहर में लगभग दो हज़ार पोस्टर लगाकर दूसरे चरण के आंदोलन का अभियान पूर्ण किया। आंदोलन के इस चरण में 8 अप्रैल को 11 बजे शिक्षा निदेशालय में महाधरना होगा ।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शिमला शहर के अभिभावकों से 8 अप्रैल को होने वाले महाधरने में भारी संख्या में शामिल होने की अपील की है। उन्होंने प्रदेश सरकार को चेताया है कि वह निजी स्कूलों को संचालित करने के लिए शीघ्र ही कानून और पॉलिसी लाए तथा रेगुलेटरी कमिशन का गठन करे अन्यथा आंदोलन और तेज़ होगा। उन्होंने शिक्षा विभाग के अधिकारियों से मांग की है कि वे 18 मार्च 2019 की शिक्षा निदेशालय की अधिसूचना लागू करवाएं और जो स्कूल इसकी अवहेलना कर रहे हैं उनकी मान्यता तुरन्त रद्द की जाए। और उन स्कूलों पर हिमाचल उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना के कारण कांटेम्पट ऑफ कोर्ट के तहत आपराधिक मुकद्दमे दर्ज किए जाएं। उन्होंने प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि उसके संरक्षण के कारण ही निजी स्कूल कुकुरमत्तों की तरह फल फूल रहे हैं और शिक्षा के बाजारीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं।
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उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे डरें नहीं और भारी फीसों के खिलाफ खुलकर सामने आएं। अभिभावकों के निरन्तर संघर्ष और आंदोलन के कारण ही 18 मार्च की अधिसूचना जारी हुई है। अभिभावकों की एकता के कारण ही सभी जिलों में उपनिदेशकों को निजी स्कूल प्रबंधनों के साथ बैठक करनी पड़ी और स्कूलों के संचालन के लिए उचित दिशानिर्देशन करना पड़ा। इसके फलस्वरूप ही निदेशक उच्चतर शिक्षा को नियमों की अवहेलना करने वाले निजी स्कूलों पर 15 अप्रैल तक सख्त कार्रवाई करने व उनकी मान्यता रद्द करने की डेडलाइन जारी करनी पड़ी।