चुनावों के इस हो-हंगामें में क्या आप 9 अप्रैल 2018 का दिन भूल गए क्या..?? इसी दिन हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में दर्दनाक हादसा हुआ था। इस हादसे से पूरे प्रदेश में सनाट्टा तो छाया ही, साथ ही साथ प्रदेश की जनता भी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं थी। सोशल मीडिया से लेकर अख़बारों तक सिर्फ दर्द भरे लफ़्ज़ ही नज़र आ रहे थे। आख़िरकार हो भी क्यों न… जब बात किसी की जान पर बन जाए तो खुद-ब-खुद आंसू छलक ही पड़ते हैं। ख़ास कर जब बात बच्चों और किसी की जान की हो तो कुछ भी बोलने से पहले ये मीडिया का जगत भी विचार करता है।
जी हां, 9 अप्रैल 2018 को कांगड़ा जिले के नूरपुर में एक स्कूल बस हादसे का श़िकार हो गई थी। इस हादसे में बस क़रीब 200 फ़ीट नीचे जा गिरी, जिसमें 24 बच्चों सहित 27 से 28 लोगों की एक साथ मौत हो गई। ये सभी बच्चे स्कूल से घर वापस लौट रहे थे कि अचानक बस की ब्रेक फेल होने से बस ख़ाई में जा गिरी।
एक साथ कई परिवारों के चिराग बुझने से प्रदेश भर में माहौल काफी गमगीन हो गया। घटनास्थल पर पड़े चिथड़े और बच्चों के स्कूल बैग देख़कर तो किसी का दिल ही पसीज जाए। मौके पर सरकार ने आर्थिक मदद देने के साथ-साथ और कई वायदे भी किये। सरकार ने बकायदा एक साथ सभी बच्चों को श्रद्धांजलि दी और उनका अंतिम संस्कार किया। कई परिवारों के तो 2 बच्चे थे जो इस हादसे में मौत के घाट उतर गए। लेकिन उस इन पीड़ित परिवारों को हर तरफ से मदद मिली और जयराम सरकार ने भी हर संभव मदद की बात कही।
कुछ दिन बाद होने लगी बेकदरी
हादसे को हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे कि बदलते वक़्त के साथ लोग और सरकार पीड़ित परिवारों को भूल गए और ये परिवार अपनी मांगों को लेकर भटकने लगे। कुछ ही महीनों बाद इन परिवारों ने सरकार के आगे गुहार लगाई, प्रशासन को कई दफ़ा ज्ञापन सौंपे… और यहां तक कि सभी विधायकों की पत्नियों को लेटर भी लिखे। लेकिन वक्त की मार ने उन्हें यहां लाकर खड़ा कर दिया था कि न तो सरकार परवाह कर रही थी और न ही प्रशासन का कोई अधिकारी…।।
अपनी मांगों को लेकर इन परिवारों को कई दफ़ा मीडिया में अपने बयान दिये कि उनकी मांगें पूरी की जाएं। लेकिन न तो उनकी मांगे पूरी हुई और न ही इस पर किसी ने कोई बात की। अब जब चुनावी सीज़न सिर पर है तो श़ायद कई नेता इन लोगों के घर भी पहुंच रहे हैं, लेकिन ये लोग अपनी मांगों पर अड़े हैं।
हादसे के कारणों पर कई दलीलें
हादसे के तुरंत बाद जनता का आक्रोश बढ़ता देख जयराम सरकार ने उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिये। निजी स्कूल्स को आदेश जारी किये गए कि बसें भरकर न ले जाएं। सरकार ने हर चीज में बड़ी सतर्कता बताई। लेकिन 1 साल बाद भी हाईलेवल जांच में हादसे के सही कारणों का कई पता नहीं चल पाया। कई दफा ये दलील दी गई कि जो ड्राइवर था वे काफी बुजुर्ग था तो इसलिए वे बस संभाल नहीं पाए, उसके बाद बस की ब्रेक फेल होने की बात सामने आई, उसके बाद बस ख़टारा होने की बात सामने आने लगी।
सोशल मीडिया से लेकर अख़बारों की हैडलाइन्स तक ये सभी दलीलें पेश की जाती रहीं। लेकिन अस़ल में हादसा कैसे हुआ, इसकी अभी तक कोई सही जानकारी खुद सरकार के पास श़ायद नहीं है। इन दलीलों के सहारे लोगों अपने-अपने तरीकों से हादसे की वज़ह निकालने लगे, लेकिन अभी तक इसका रिपोर्ट खुद मीडिया के पास नहीं है।
सेना के अधिकारी ने लगाई गुहार
इस हादसे में सेना के जवान अजय सिंह की इकलौती बेटी भी मौत के मुंह में समा गईं थी। यहां तक कि हादसे के वक़्त भी अपने घर पर नहीं आ सके थे और उसके बाद यहां पहुंचे थे। 5 महीने बाद छुट्टी में आने पर जवान ने बकायदा धर्मशाला में पत्रकारों से बात की और उन्हें अपना तथा पीड़ित परिवारों का दर्द सुनाया। लेकिन अफ़सोस की ये सरकारी सुविधाएं श़ायद राजनेताओं के लिए ही बनी हैं। सरहदों पर लड़ते जिन जवानों की बदौलत आज हम सुखमयी जीवन जी रहे हैं सरकार की उनकी भी नहीं सुनती तो आम आदमी कहां स्टैंड करता होगा…?? ये देखें वीडियो..
एक युवती की थी श़ादी
इस हादसे का ये पहलू कुछ मार्मिक सा है जिसमें एक युवती की भी मौत हुई। मीडिया रिपोर्ट्स कहती हैं कि एक युवती ने इस स्कूल बस से लिफ्ट मांग थी और ड्राइवर ने इस रूट पर बस सेवा को देखते हुए उसे बस में बैठा लिया। इस युवती की कुछ ही महीने बाद श़ादी होनी थी और ये बाज़ार से अपने लिए श़ादी की शॉपिंग करके लौट रही थी। अचानक हादसा होने से युवती की मौत हो गई और उनके घरवाले आज तक अपनी बेटी की श़ादी की राहें देख रहे हैं..!!!
कुछ बच्चों की जान बची
नए बैच के शुरू होते ही अभी बच्चे स्कूल गए ही थे कि इन बच्चों के साथ ये हादसा पेश में आया। हालांकि, हादसे में कुछ बच्चों की जान बच पाई थी, जिन्होंने बाद में सारे वाक्या को बताया। एक बच्चे के मुताबिक, ड्राइवर बस को काफ़ी तेजी से चला रहा था कि अचानक बस मोड़ने से ये हादसा पेश में आया। मौके पर 23 बच्चों की मौत हो गई और 1 बच्चे ने बाद में अस्पताल में दम तोड़ दिया। ये देखें वीडियो…
आख़िर में समाचार फर्स्ट इन बच्चों को श्रद्धांजलि देता है और उम्मीद करता है कि सरकार और हमारा प्रशासन इन पीड़ित परिवारों की जो भी मांगें हो उनको पूरा करे। इसे ज़रूर शेयर करें ताकि उन परिवारों को इंसाफ मिल सके और जो उनकी मांगें है वे पूरी हो सकें।