केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बायोपिक ‘पीएम नरेंद्र मोदी’ की रिलीज का रास्ता साफ कर दिया है। सेंसर बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दे दिया है जिससे कि अब यह 11 अप्रैल को रिलीज हो सकेगी। मंगलवार को फिल्म को यू सर्टिफिकेट मिला है और अब यह सुनिश्चित करना निर्माताओं के हाथ में है कि वह उसे पूर्व निर्धारित तारीख पर रिलीज करते हैं या नहीं। यह फिल्म पिछले कुछ समय से चर्चा का विष्य बनी हुई है क्योंकि विपक्ष चुनाव के मद्देनजर इसपर रोक लगाने की मांग कर रहा था। उसका कहना है कि इससे एक व्यक्ति और पार्टी विशेष के प्रति मतदाता आकर्षित होंगे। लोकसभा चुनाव की जद में पूरे देश में आदर्श आचार संहिता लागू है ऐसे में फिल्म पर रोक लगाने के लिए उच्चतम न्यायालय में कांग्रेस कार्यकर्ता ने याचिका दाखिल की थी।
बोर्ड ने फिल्म को बढ़ावा देने या रोकने के लिए कोई असाधारण कोशिश नहीं की। सीबीएफसी ने वही किया जो उसे करना चाहिए था। उसने फिल्म को प्रक्रिया के तहत सर्टिफिकेट दिया है। निर्देशक ओमंग कुमार की फिल्म में बोर्ड ने कोई कट नहीं लगाया है। सूत्रों का कहना है कि निर्देशक को फिल्म की रिलीज से पहले उसमें चार-पांच छोटे संशोधन करने के लिए कहा गया है। मंगलवार को इसपर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने याचिका को खारिज कर दिया था। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वह फिल्म की रिलीज पर रोक लगाने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई नहीं कर रहा है क्योंकि याचिका ‘अपरिपक्व’ है। फिल्म को अभी सेंसर बोर्ड ने भी प्रमाण पत्र जारी नहीं किया है।
न्यायालय ने कहा था कि अगर फिल्म 11 अप्रैल को रिलीज होती है जैसा कि कांग्रेस कार्यकर्ता ने दावा किया है तो भी यह उचित होगा कि वह निर्वाचन आयोग के पास जाए। यह फैसला चुनाव आयोग को करना है कि क्या फिल्म आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन करती है या नहीं। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने कहा था कि अत: हम इस याचिका को सुनवाई योग्य नहीं मानते हैं।