छात्र अभिभावक मंच ने खलीणी स्थित शिमला पब्लिक स्कूल के खिलाफ मोर्चा खोलने के निर्णय लिया है। मंच ने शिमला पब्लिक स्कूल के प्रबंधन को साफ कर दिया है कि उसकी तानाशाही और मनमानी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं की जाएगी और स्कूल के बाहर जबरदस्त आंदोलन होगा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि ख़लीणी स्थित शिमला पब्लिक स्कूल की मनमानी सभी हदों को पार कर चुकी है। उसकी तानाशाही से अभिभावक तंग आ चुके हैं। एक तरफ इस स्कूल ने भारी फीसें लादकर अभिभावकों का शोषण किया वहीं दूसरी ओर स्कूल की मनमानी के खिलाफ आवाज़ उठाने वाले अभिभावकों पर तानाशाहीपूर्ण रवैया अपनाया जा रहा है।
भारी फीसों और निजी स्कूलों की मनमानी के खिलाफ शिमला पब्लिक स्कूल के जो अभिभावक 8 अप्रैल को शिक्षा निदेशालय के बाहर महाधरने में शामिल हुए थे उनके बच्चों को स्कूल में मानसिक तौर पर प्रताड़ित किया जा रहा है। उन्हें क्लासरूम में खड़ा करके डराया धमकाया जा रहा है। इससे बच्चे काफी मानसिक तनाव में हैं। बच्चे सहमे और डरे हुए हैं। उनके अभिभावक और ज़्यादा दबाव में हैं। शिक्षा विभाग द्वारा शिमला पब्लिक स्कूल पर इंस्पेक्शन और छापेमारी के बाद बच्चों की मानसिक प्रताड़ना और ज़्यादा बढ़ गई है।
विजेंद्र मेहरा ने उच्चतर शिक्षा निदेशक अमरजीत शर्मा से मांग की है कि शिमला पब्लिक स्कूल में बच्चों की मानसिक प्रताड़ना करने वालों के खिलाफ चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन एक्ट के अनुसार मुकद्दमा दायर किया जाए। उन्होंने कहा कि बच्चों के इस मामले में चाइल्ड राइट्स प्रोटेक्शन एक्ट के साथ ही भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(F) के तहत बच्चों को प्राप्त नैतिक और भौतिक अधिकारों को छीनने के खिलाफ भी मुकद्दमा दायर होना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिमला पब्लिक स्कूल प्रबंधन तुरन्त बच्चों और अभिभावकों की मानसिक प्रताड़ना बन्द करे अन्यथा शिमला पब्लिक स्कूल को मंच आंदोलन का केंद्र बना देगा।
उन्होंने कहा कि कुछ अन्य स्कूल भी हैं जहां पर बच्चों के साथ ऐसा व्यवहार हो रहा है इसलिए शिक्षा निदेशक तुरन्त कार्रवाई अमल में लाए। उन्होंने निजी स्कूलों को चेताया है कि अब उनकी मनमानी और तानाशाही के दिन लद चुके हैं इसलिए बच्चों और अभिभावकों को डराने धमकाने की नीति बन्द करें।