कांगड़ा जिले में धर्मशाला के खनियारा में प्राचीन ऐतिहासिक अघंजर महादेव मंदिर का इतिहास बाबा गंगा भारती सहित महाराजा रणजीत सिंह व पांडु पुत्र अर्जुन से जुड़ा हुआ है।किंदवंतियों के अनुसार जब महाराजा रणजीत सिंह एक रोग से ग्रस्त थे तो उस दौरान बाबा गंगा भारती ने उनका उपचार किया था और इससे प्रसन्न होकर महाराजा रणजीत सिंह ने बाबा गंगा भारती को अपना दुसाला भेंट किया लेकिन बाबा ने यह दुसाला अपने हवनकुंड में डाल दिया और सौ दुसाले निकाल महाराजा रणजीत सिंह को अपना दुसाला पहचानने को कहा। तब महाराजा रणजीत सिंह बाबा गंगा भारती के चरणों में गिर पड़े।
वहीं पांडु पुत्र अर्जुन ने महाभारत युद्ध से पूर्व भगवान श्रीकृष्ण के मार्गदर्शन पर इस स्थान पर बाबा भोले की तपस्या कर उनसे एक अस्त्र प्राप्त किया था।
अघंजर महादेव मंदिर धौलधार की तलहटी में धर्मशाला से लगभग 5 किमी दूर है। इस शिव मंदिर का निर्माण बहुत अनोखा है और इस जगह की प्राकृतिक सुंदरता है। मंदिर के पीछे एक छोटा सा झरना भी है जो मंदिर के चारों ओर लगातार बहने वाले पानी के साथ है। ये मंदिर का लगभग 500 वर्ष पुराना है। मंदिर के आसपास ठंडी हवा, शांति और शांत वातावरण है । मंदिर के नजदीक एक अन्य प्रमुख आकर्षण सिधपुर में नोरबुलिंगका मठ है। अर्जुन ने इसी मंदिर में धुनी जलाई थी तब से लेकर आज तक इस मंदिर में वो धुनी जलती रहती है।