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ख़बर के बाद बैकफुट पर सत्ती, कहा- मैं तो राहुल गांधी का सम्मान करता हूं

रविंद्र, ऊना |

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी पर अभद्र टिप्पणी को लेकर बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष सतपाल सत्ती ने अपना स्पष्टीकरण दिया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी के पास कोई मुद्दा नहीं है, इसलिए बेवजह के मुद्दे बनाने की फिराक में है। उन्होंने कांग्रेस के नेताओं को भी सलाह दी कि वह 45 मिनट का पूरा भाषण सुने तो उन्हें पता चल जाएगा कि किस संदर्भ में क्या बात हुई। सत्ती ने कहा कि कुछ दिन पहले नालागढ़ में एक संबोधन के दौरान उन्होंने विपक्ष की चर्चा करते हुए उदाहरण के तौर पर किसी व्यक्ति द्वारा सोशल मीडिया में डाली गई टिप्पणी का जिक्र किया था और कहा था कि ऐसी टिप्पणी करने वाला व्यक्ति बीजेपी का नहीं हो सकता। सत्ती ने कहा कि मैने भरे मन से ये बात कही थी की लोग गुस्से में क्या-क्या लिख रहे हैं।

सत्ती ने कहा कि मैं स्वयं ऐसी बात को गलत मानता हूं। उन्होंने कहा कि बीजेपी के सोशल मीडिया के कार्यकर्ताओं को भी यह नसीहत दी थी कि किसी भी नेता के विरुद्ध कोई भी अमर्यादित भाषा टिप्पणी का प्रयोग नहीं करना चाहिए, बल्कि हमें अपनी नीतियों ,कार्यक्रमों व विचारधारा का प्रचार करने पर ध्यान देना चाहिए । उन्होंने कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और 3 बार सांसद बने हैं। मेरा उनके साथ किसी प्रकार का विरोध नहीं है, बल्कि उनका सम्मान है । लेकिन प्रश्न यह है कि जब देश के ईमानदार प्रधानमंत्री जिन्हें कभी भी किसी न्यायालय ने किसी भी केस में कोई सजा नहीं दी है ना ही कोई विपरीत टिप्पणी की है ऐसे में कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल यदि चौकीदार चोर की भाषा का इस्तेमाल करते हैं तो उन्हें भी अपने अंदर झांक कर देखना चाहिए, आखिर चोर बोलने का लाइसेंस किसने दिया है।

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सत्ती ने कहा कि स्वयं राहुल गांधी, उनकी माता जी और जीजा जी एक केस के मामले में जमानत पर हैं । हमने तो कभी किसी के लिए गलत शब्द का प्रयोग इनके विरुद्ध नहीं किया। सतपाल सत्ती ने कहा कि मेरा सभी धर्मों के प्रति सम्मान है, संस्थाओं के प्रति आदर  है। कांग्रेस कट पेस्ट की राजनीति कर अगर झूठ फैलाना चाहे तो उसका भला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि हमारा आचरण व्यवहार लोग जानते हैं ।

ग़ौरतलब है कि समाचार फर्स्ट ने सबसे पहले इस ख़बर को उठाया था कि उन्होंने जनसभा में राहुल गांधी को गाली दी। लेकिन अब वे अपने स्पष्टीकरण में बेशक किसी का वाक्या सुनाने की बात कर रहे हों… लेकिन क्या एक जिम्मेदार नेता का ये फ़र्ज नहीं बनता कि जनसभा में बैठी महिलाओं और बच्चों के सामने क्या बोलना है? क्या उन्हें बिल्कुल भी मालूम नहीं कि अभद्र भाषा का इस्तेमाल वे अपने दोस्तों के बीच नहीं बल्कि जनसभा के बीच कर रहे हैं..??