छात्र अभिभावक मंच ने उच्चतर शिक्षा निदेशक से मांग की है कि वह निजी स्कूलों की इंस्पेक्शन की रिपोर्ट तुरन्त सार्वजनिक करें। मंच ने रिपोर्ट सार्वजनिक न होने पर कड़ी चिंता जाहिर की है। मंच ने चेताया है कि अगर रिपोर्ट तुरन्त सार्वजनिक न की तो मंच दोबारा शिक्षा निदेशालय का घेराव करने से भी नहीं चूकेगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि उनका आंदोलन मुख्यतः स्कूलों द्वारा ली जा रही भारी फीसों के खिलाफ है। इसलिए आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक कि छात्रों व अभिभावकों को आर्थिक राहत नहीं मिलती है व कानून लागू नहीं होता है। उन्होंने मांग की है कि प्राइवेट कॉलेजों व विश्वविद्यालयों को संचालित करने के लिए बने स्टेट रेगुलेटरी कमीशन की तर्ज़ पर प्राइवेट स्कूलों को संचालित करने के लिए भी रेगुलेटरी कमीशन बने जिसमें अभिभावकों को भी उचित स्थान मिले।
उन्होंने चिंता व्यक्त की है कि इस सरकार को सत्ता में आये सवा एक वर्ष बीत चुका है परन्तु शिक्षा के अधिकार कानून 2009 के तहत आज तक राज्य सलाहकार परिषद का गठन भी नहीं हो पाया है। शिक्षा विभाग के वैबसाइट पर पिछली सरकार के समय बनी राज्य सलाहकार परिषद भी अपडेट नहीं हो पाई है जिसमें शामिल ज़्यादातर अधिकारी सेवानिवृत हो चुके हैं। इसी से स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार शिक्षा को लेकर कितनी गम्भीर है। उन्होंने मांग की है कि इस परिषद का तुरन्त गठन है।
उन्होंने प्राइवेट स्कूलों की मनमानी,लूट व भारी फीसों के संचालन के संदर्भ में निजी स्कूल(संचालन) अधिनियम 1997 व इसके तहत वर्ष 2003 में बने नियमों,वर्ष 2016 के माननीय उच्च न्यायालय हिमाचल प्रदेश के आदेशों,शिक्षा के अधिकार कानून के तहत बनने वाली राज्य सलाहकार परिषद को बनाने व मानव संसाधन विकास मंत्रालय द्वारा पीटीए के गठन को लेकर जारी अधिसूचनाओं आदि को तुरन्त लागू करने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि जस्टिस तरलोक सिंह चौहान द्वारा वर्ष 2016 में दिए गए आदेशों के बिंदु 56 से 65 तक स्पष्ट रूप से प्राइवेट स्कूलों की लूट पर रोक लगाने की बात की गई है परन्तु प्रदेश सरकार ने इसे लागू नहीं किया।