छात्र अभिभावक मंच निजी स्कूलों के प्रति शिक्षा विभाग के नज़रिए से काफी खफ़ा है। मंच ने निर्णय लिया है कि शिक्षा विभाग द्वारा इंस्पेक्शन रिपोर्टें सार्वजनिक न करने के कारण अब मंच सूचना के अधिकार (RTI) के ज़रिए स्वयं ही इन निजी स्कूलों की लूट जनता के सामने लाएगा।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि शिमला शहर के निजी स्कूलों की मनमानी, लूट और भारी फीसों की घपलेबाजी को उजागर करने के लिए मंच स्वयं ही कठोर कदम उठाएगा। इस मुहिम में मंच सूचना के अधिकार के तहत शिमला शहर के सभी निजी स्कूलों से जानकारी मांगेगा। सूचना के अधिकार के तहत निजी स्कूलों की फीस बढ़ोतरी सहित अन्य सभी तरह की जानकारी इकट्ठा की जाएगी। इस जानकारी को बुनियाद बनाकर मंच अपनी लड़ाई तेज़ करेगा।
जो भी स्कूल तथ्यों को छिपाने की कोशिश करेगा या गलत जानकारी देगा उस स्कूल पर न्यायिक कार्रवाई के बारे में भी मंच काम करेगा। निजी स्कूलों द्वारा गलत जानकारी देने पर उन पर कानूनी कार्रवाई अमल में लाने से कोई भी गुरेज़ नहीं किया जाएगा। उन्होंने शिमला के उपायुक्त से मांग की है कि वह इन निजी स्कूलों पर शिकंजा कसें। उन्होंने उपायुक्त से पूछा है कि वह निजी स्कूलों की मनमानी पर खामोश क्यों हैं? उन्होंने मांग की है कि निजी स्कूलों पर नियमों की अवहेलना करने और मनमानी करने पर कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर 1973 के तहत धारा 107 के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाए।
उन्होंने कहा कि शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन दोनों ही निजी स्कूलों का बचाव करने पर उतर आए हैं। उन्होंने चेतावनी दी है कि अगर शिमला शहर एक बार पुनः निजी स्कूलों के खिलाफ बड़े आंदोलन का केंद्र बना तो उसके लिए पूर्णतः शिक्षा विभाग और जिला प्रशासन जिम्मेवार होंगे। मंच अगले चरण के आंदोलन की रूपरेखा बनाने की तैयारी में लगा हुआ है जिसका खुलासा कुछ दिनों बाद होगा।