छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर गम्भीर सवाल खड़े किए हैं। मंच ने आरोप लगाया है कि शिक्षा विभाग निजी स्कूलों पर कार्रवाई के झूठे वक्तव्य जारी कर रहा है। मंच ने कहा है कि जब शिक्षा विभाग निजी स्कूलों में पीटीए का गठन तक नहीं करवा पाया तो फिर भारी फीस बढ़ोतरी के मुद्दे पर उससे कार्रवाई की अपेक्षा करना केवल दिल को तसल्ली देने का कार्य है।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने शिक्षा विभाग के अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वे निजी स्कूलों पर कार्रवाई के नाम पर लीपापोती न करें और औपचारिकता करने से बाज आएं। उन्होंने कहा कि पिछले 2 महीने से अभिभावकों के आंदोलन के बावजूद शिक्षा विभाग कुम्भकर्णी नींद सोया हुआ है। विभाग इंस्पेक्शन रिपोर्ट पर कार्रवाई की आड़ में केवल जनता का आई वॉश कर रहा है। शिक्षा विभाग के अधिकारी निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने के लिए न्यूनतम कार्य तक नहीं कर पाए हैं।
उन्होंने कहा कि स्कूल सत्र के 2 महीने बीतने के बावजूद भी पीटीए के गठन के लिए न तो सरकारी अधिकारियों के नामों का ऐलान शिक्षा विभाग ने किया है और न ही किसी भी स्कूल में तय नियमों के अनुसार पीटीए का गठन हुआ है। जिन निजी स्कूलों ने पीटीए की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाए बिना ही डम्मी पीटीए का गठन किया है उन पर भी शिक्षा विभाग ने शिक्षा का अधिकार कानून, एमएचआरडी गाइडलाइनज़ और हिमाचल प्रदेश उच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना पर कोई कार्रवाई नहीं की है। इससे स्पष्ट है कि शिक्षा विभाग केवल खानापूर्ति करना चाहता है।
मंच की सह संयोजक बिंदु जोशी ने कहा है कि शिक्षा विभाग निजी स्कूलों पर नाम मात्र कार्रवाई करता हुआ भी नज़र नहीं आ रहा है। शिक्षा विभाग की लचर कार्यप्रणाली का आलम यह है कि जिस शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने 14 दिन में पूरे प्रदेश के सभी निजी स्कूलों की रिपोर्ट सार्वजनिक करने की घोषणा की थी, उस विभाग के अधिकारी अभी तक 22 दिन बीतने के बावजूद भी आधे से ज़्यादा स्कूलों की इंस्पेक्शन रिपोर्ट तक इकट्ठा नहीं कर पाए हैं। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि निजी स्कूलों पर शिक्षा विभाग कितनी कठोर कार्रवाई करने में सक्षम है। शिक्षा विभाग की ढीलीढाली कार्रवाई से लोगों का विश्वास धीरे-धीरे शिक्षा विभाग से उठ रहा है।