छात्र अभिभावक मंच ने शिक्षा विभाग के उस वक्तव्य पर कड़ी आपत्ति ज़ाहिर की है जिसमें उसने निजी स्कूलों द्वारा इस साल 10 प्रतिशत फीस वृद्धि को ज़ायज़ करार दिया है। मंच ने शिक्षा अधिकारियों को चेतावनी दी है कि वह ऐसे वक्तव्य देना बंद करें क्योंकि ऐसे वक्तव्य फीस वृद्धि को ज़ायज़ ठहराते हैं।
मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि शिक्षा विभाग के अधिकारी बार-बार कह रहे हैं कि जिन निजी स्कूलों ने 10 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि की है, उनसे फीस कटौती करवाई जाएगी। अधिकारियों के ऐसे ब्यानों से स्पष्ट हो रहा है कि वे केवल 10 प्रतिशत से अधिक की फीस वृद्धि को नाज़ायज़ मानते हैं और 10 प्रतिशत से कम फीस वृद्धि को उनकी इज़ाज़त है। अधिकारियों के ये बयान बिल्कुल गलत हैं क्योंकि बड़े-बड़े कान्वेंट स्कूलों और अन्य बड़े निजी स्कूलों द्वारा हर साल 10 प्रतिशत से कम फीस बढ़ोतरी से भी हज़ारों रुपये की फीस बढ़ोतरी हो जाती है।
जो स्कूल 50 से 80 हज़ार रुपये फीस ले रहे हैं उनके द्वारा 10 प्रतिशत या उससे अधिक फीस बढ़ोतरी से एक साल में ही 5 से 8 हज़ार रुपये की फीस वृद्धि हो जाती है। यह फीस वृद्धि बहुत ज़्यादा है इसलिए शिक्षा अधिकारियों के वक्तव्यों से निजी स्कूलों की लूट को वैधानिकता मिलती है और उनके हौंसले बुलंद होते हैं। शिक्षा अधिकारियों को ऐसी बयानबाजी तुरन्त बन्द करनी चाहिए और इस साल बढ़ी हुई सारी फीस को जून और सितंबर की अगली 2 किश्तों में समायोजित करके अभिभावकों को राहत प्रदान करनी चाहिए।
मंच की सह संयोजक बिंदु जोशी और कमेटी सदस्य फालमा चौहान ने शिक्षा विभाग से मांग की है कि वह इस साल की बढ़ी हुई फीसों पर तुरन्त कार्रवाई करें और बढ़ी हुई फीसों को अगली किश्तों में समायोजित करें। उन्होंने शिक्षा अधिकारियों को चेताया है कि फीस वृद्धि पर गैर जरूरी बयानबाजी से निजी स्कूलों की मनमानी बढ़ती है इसलिए इस तरह की बयानबाजी तुरन्त बन्द करें।