हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष राजीव बिंदल और अन्यों के खिलाफ भ्रष्टाचार से जुड़े मामले को वापस लेने की अनुमति प्रदान करने वाले निर्णय को चुनौती देने वाली याचिका में हाईकोर्ट ने सभी को नोटिस जारी किया है। न्यायाधीश सुरेश्वर ठाकुर ने अर्की निवासी पवन ठाकुर की याचिका की प्रारंभिक सुनवाई के दौरान उपरोक्त आदेश पारित किए।
राजीव बिंदल और अन्यों के खिलाफ आरोप है कि 30 अप्रैल 1998 को प्रस्ताव पारित कर नगर परिषद सोलन में क्लर्कों, मीटर रीडर, ड्राइवर, कीमैन, चपरासी, क्लीनर और सफाई कर्मचारी के पदों को भरने के लिए चयन कमेटी का गठन किया गया। इस कमेटी के अध्यक्ष राजीव बिंदल थे। इनके खिलाफ आरोप है कि उन्होंने राज्य सरकार की अनुमति और हिमाचल प्रदेश नगर सेवा अधिनियम 1994 के विपरीत साक्षात्कार लेने लिए फर्जी दस्तावेज तैयार कर अयोग्य उम्मीदवारों को नौकरियां प्रदान की।
7 जून 2003 को तत्कालीन सीएम के ध्यान में इस मामले को लाया गया और पुलिस अधीक्षक सतर्कता साउथ जोन शिमला के सुपुर्द मामला करने के पश्चात जांच की गई। उप-पुलिस अधीक्षक राज्य सतर्कता एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो ने इस मामले में जांच रिपोर्ट सौंपी और 2 दिसंबर 2016 को राज्य सरकार एवं भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो सोलन के समक्ष सभी आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया।
जांच के पश्चात अंतिम रिपोर्ट 17 जुलाई 2013 को कोर्ट के समक्ष दाखिल की गई। अभियोजन पक्ष द्वारा 7 सितंबर 2018 को राजीव बिंदल व अन्य आरोपियों के खिलाफ मामला वापस लेने के लिए विशेष जज सोलन के समक्ष आवेदन दाखिल किया गया। स्पेशल जज सोलन ने 24 जनवरी 2019 को अभियोजन पक्ष द्वारा दायर आवेदन को स्वीकार करने के पश्चात राजीव बिंदल और अन्यों के खिलाफ मामला वापस लेने की अनुमति प्रदान कर दी। 24 जनवरी 2019 को पारित इस फैसले को हाईकोर्ट के समक्ष याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई है।