शिमला लोकसभा सीट का चुनाव रोचक स्थिति में पहुंच चुका है। एक ओर बीजेपी उम्मीदवार सुरेश कश्यप हैं जो पहली बार लोकसभा चुनाव की जंग लड़ रहे हैं। दूसरी ओर कांग्रेस पार्टी के कर्नल धनी राम शांडिल है जो तीन बार शिमला से चुनाव लड़ चुके हैं। दोनों के बीच की जंग इतनी आसान नहीं है।
शिमला में 17 विधानसभा सीटें हैं, जिनमे जिला शिमला की बात करें तो 8 में से 7 सीट शिमला लोकसभा में आती है जिनमें से शिमला ग्रामीण, कसुम्पटी और रोहड़ू कांग्रेस ने जीती है दूसरी तरफ शिमला शहरी, चौपाल और जुब्बल कोटखाई विधानसभा सीट पर बीजेपी का कब्जा है। इसके साथ ही सातवीं सीट ठियोग माकपा के पास है। लेकिन अभी तक दोनों पार्टियों के बीच 50-50 वोट आकलन है।
इसके बाद जिला सोलन की बात करें तो इसमें पांच सीट है जिनमें से अर्की, सोलन औरनालागढ़ कांग्रेस ने जीती हैं, जबकि कसौली और दून भाजपा के पास हैं। इस लिहाज़ से सोलन में कांग्रेस का पलड़ा भारी नज़र आ रहा है। धनी राम शांडिल भी सोलन से ही हैं ऐसे में इसका भी उन्हें फ़ायदा मिल सकता है। वैसे तो शिमला संसदीय में ज्यादातर कांग्रेस का गढ़ रहा है, लेकिन इस बार की संसदीय सीट पर जिला सिरमौर का अहम योगदान रहने वाला है।
सिरमौर जिला की तो यहां का अंकगणित भी दोनों पार्टियों के लिए चौंकाने वाले नतीज़े दे सकता है। सिरमौर जिला की पांच सीटों में से नाहन, पांवटा और पच्छाद भाजपा ने जीती हैं जबकि श्री रेणुका जी और शिलाई सीट कांग्रेस के पास है। बीजेपी के प्रत्याशी भी सिरमौर से है ऐसे में उनकी जीत का सारा दारोमदार सिरमौर पर टिका है। कांग्रेस का गढ़ रहे सिरमौर जिला में भाजपा पिछले दो विधानसभा चुनावों से सेंध लगा रही है। इसलिए सिरमौर जिला इन चुनावों में निर्णायक भूमिका अदा करेगा।