लोकसभा चुनावों में हमेशा हमीरपुर सीट को ही हॉट सीट माना जाता रहा है लेकिन इस बार समीकरण बदले हुए हैं। इस बार चुनाव में मंडी हॉट सीट बन चुकी है। कुछ माह पहले की बात करें तो सुखराम परिवार बीजेपी में था और पार्टी वीरभद्र सिंह परिवार को भी खासी चुनौती देती नज़र आ रही थी। वहीं, बीजेपी भी जीत को लेकर आश्वस्त थी। लेकिन, सुखराम परिवार कांग्रेस में तो शामिल हुआ ही साथ ही टिकट भी ले लेकर आ गया और मंडी में बीजेपी के लिए चुनौती भी बन गया।
अब मंडी में मुकबला कांग्रेस और बीजेपी का नहीं बल्कि राजनीतिक परिवारों में होता नज़र आ रहा है और इसमें सबसे महत्वपूर्ण भूमिका में पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का परिवार है और वो कैसे इस चुनाव प्रचार को मंडी में आगे बढ़ाएंगे उसी पर नतीजे निर्भर करते हैं।
वहीं, वीरभद्र सिंह और उनके बेटे विक्रमदित्य सिंह लगातार पंडित सुखराम परिवार के साथ चुनाव प्रचार में जुटे हुए हैं जबकि, राजनीतिक हलकों में चर्चा थी की वीरभद्र सिंह का गुट सुखराम परिवार के साथ खड़ा ही नहीं हो सकता है। अब चुनाव प्रचार के साथ ही समीकरण बदलते नज़र आ रहें हैं। वीरभद्र सिंह और विक्रमदित्य सिंह पूरी तरह से आश्रेय शर्मा के साथ चुनाव प्रचार का हिस्सा बने हुए हैं।
इसके इलावा प्रदेश कांग्रेस महासचिव रघुवीर सिंह बाली भी आश्रेय के लिए प्रचार कर चुके हैं। माना जा रहा है पंडित सुखराम से जुड़े पुराने चेहरे भी आश्रेय के लिए प्रचार करते नज़र आ रहें हैं। ऐसे में जो मुख्यमंत्री मंडी जिला को पहली बार जयराम के रूप में मिला है उसको लेकर ये चर्चा है कि मंडी लोकसभा क्षेत्र की जनता एक साल पुराने अपने नेता के लिए मतदान करेंगी या फिर उन नेताओं के लिए जो बर्षों से यहां पर राजनीति करते आये हैं और हर घर में उनके नाम की चर्चा है।
आश्रेय शर्मा और पंडित रामस्वरूप को अगर देखा जाए तो रामस्वरूप पूरी तरह से मुख्यमंत्री की चुनावी रणनीति पर निर्भर हैं और मोदी की रैली को समीकरण बदलने वाली रैली बीजेपी मंडी में मान भी रही है। जबकि, आश्रेय शर्मा अपने परिवार की राजनीति को वीरभद्र सिंह परिवार के समर्थन के साथ आगे बढ़ाते नज़र आ रहे हैं। अब देखना ये हैं की जनता का मूड मोदी और जयराम के साथ खड़ा नज़र आएगा या एक बार फिर पारंपरिक मतदान यहां पर आश्रेय शर्मा के पक्ष में होगा।