मंडी लोकसभा में पुरानी पीढ़ी और नई पीढ़ी में चुनाव चल रहा है। आप कहां खुद को खड़ा देखते हो…??
मेरा ये मानना है की पुराने बुजुर्ग और नया मतदाता हमेशा ही निर्णायक रहा है। मंडी का मतदाता बहुत समझदार है और उनके विश्वास पर ही मैं आज चुनाव मैदान में हूं। पुरानी पीढ़ी का आशीर्वाद हमेशा हमारे परिवार के साथ रहा है और युवाओं में मैं और मेरी पत्नी राधिका हमेशा जुड़े रहें हैं इसीलिए जीत के लिए आश्वस्त हूं।
राजनैतिक दवाब की बात करें तो कितना प्रभावित ये चुनाव हो सकता है..??
हमने भी राजनीति की है और 1952 से लगातार परिवार राजनीति में है और दावे के साथ कह सकता हूं कि राजनीति दवाब हमेशा विपरित दिशा में ही काम किया है और इस बार भी मुख्यमंत्री के नाम का जो दवाब मंडी लोकसभा में बनाया जा रहा है उसका विपरीत प्रभाव आपको नतीजों में देखने को मिलेगा। मंडी लोकसभा ने कोई पहली बार मुख्यमंत्री नहीं देखा है ये तो बीजेपी का भ्रामक प्रचार है। वीरभद्र सिंह 6 बार मुख्यमंत्री रहे तो वो मंडी से सांसद भी रहे केंद्रीय मंत्री भी रहे ,पंडित सुखराम प्रदेश मैं संचार क्रांति लाये ,मंडी लोकसभा का हर गांव उन्होंने टेलीफोन से जोड़ा ,इस लिए ये कहना कि मुख्यमंत्री है और बड़ा विकास करवाएंगे। रामस्वरूप जैसे ये कहेंगे तो मैं नहीं मनाता की जनता को इस दावे से बीजेपी प्रभावित कर पाएगी।
बीजेपी में बहुत बड़ा पलायन कांग्रेस से हो रहा है ,इस दावे को लेकर काया कहते हैं..??
जो तस्वीरें आप लगातार सोशल मीडिया मैं देख रहे हैं कि आज इतने लोग गए या वो गया या इससे में इसलिए इतेफ़ाक़ नहीं रखता हूं क्योंकि बहुत से तस्वीरें ऐसी हैं जो पिछले विधानसभा चुनावों की थी जिनको बीजेपी वालों ने गलत तरीके से मीडिया और सोशल मीडिया में प्रचारित करने का प्रयास भी किया। लेकिन ये भ्रामक प्रचार का कोई लाभ बीजेपी को नहीं होने वाला है क्योंकि आज लोग जागरूक हैं, पढ़े लिखे हैं और उचित निर्णय बिना किसी दवाब के करने में सक्षम हैं।
कांग्रेस का समर्थन आपको मिल रहा है, भीतरघात होने की सम्भावना से इंकार नहीं किया जा सकता है?
मंडी में अगर भीतरघात होगा तो बीजेपी में होगा, उसका कारण है की रामस्वरूप जैसा चेहरे को अपना सांसद देखना पड़ा है जिसके पास सिर्फ मुख्यमंत्री के नाम ही वोट मांगने के लिए है। इससे अधिक कुछ नहीं।
मुख्यमंत्री ने नाम का क्या असर आप देख रहे हो?
मंडी लोकसभा में 17 विधानसभा हैं और बीजेपी मुख्यमंत्री के नाम की हवा बनाने का प्रयास जरूर कर रही है। करेगी भी क्योंकि उनका उम्मीदवार खुद को पूरी तरह निकम्मा जनता में साबित कर चुका है। लेकिन जिस तरह से वीरभद्र सिंह और सुखराम का प्रभाव यहां पूरे लोकसभा में है मुझे नहीं लगता की जयराम इतना बड़ा नाम यहां हैं।
युवाओं को जोड़ने के लिए क्या प्रयास कर रहे हैं?
युवाओं के लिए मेरा परिवार हमेशा ही सहयोग करता रहा है। मेरा ये मानना है की अगर खिलाडियों और कलाकारों को समय पर मंच मिल जाए तो बड़े स्तर पर वो परफॉर्म कर सकता है। उन्होंने कहा की हमने इतिहास में भी करके दिखाया है, वर्तमान में भी काम किया है और तीसरी पीढ़ी राजनीति में हैं तो मानता हूं कि वे भी सही से काम करके दिखाएगी।