कर्ज में डूबी हिमाचल सरकार फिर से कर्ज लेने जा रही है। प्रदेश सरकार अब 700 करोड़ रूपये का कर्ज ले रही है। सरकार इस वर्ष चौथी बार कर्ज ले रही है। प्रदेश सरकार गवर्नमेंट स्टॉक सिक्योरिटी के एवज में रिजर्व बैंक से कर्ज ले रही है। कर्मचारियों के वेतन, DA सहित अन्य वित्तीय देनदारियों के लिए ये लोन लिया जा रहा है। यह कर्ज 15 साल की अवधि के लिए लिया जा रहा है। जुलाई 2032 तक सरकार को ब्याज सहित इसे वापस लौटाना होगा। बता दें कि अगस्त महीने में प्रदेश सरकार ने 800 और जुलाई महीने में 500 करोड़ का लोन लिया था।
इस तरह सरकार गत जुलाई माह से अब तक कर्ज लेने का आंकड़ा 2,000 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। संसाधनों की कमी झेल रहा हिमाचल पहले ही करीब 43 हजार करोड़ रुपए के कर्ज में है। सरकार का वित्तीय गणित इसलिए भी गड़बड़ाया है क्योंकि कर्मचारियों और पैंशनरों को 4 फीसदी DA और I.R. देने के अलावा अन्य घोषणाएं की गई हैं।
इस तरह सरकार के 700 करोड़ रुपए के कर्ज लेने की राशि को जोड़ दिया जाए तो मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान 3,500 करोड़ रुपए का कर्ज ले लिया जाएगा। वहीं, विपक्ष भी सरकार की तरफ से बार-बार कर्ज लिए जाने के मुद्दे पर सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहा है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार मौज-मस्ती में जुटी है और उसके लिए बार-बार कर्जा लिया जा रहा है।