काम करने का जुनून हो तो कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता है। ऐसी ही एक मिसाल सोलन ज़िला के अर्की उपमंडल क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले दाड़लाघाट के युवा कृषक मनीष चंदेल ने कायम की है। इस युवा कृषक ने अपने खेतों में केसर की खेती कर अपने इलाके में एक नया इतिहास रचा है। दाड़लाघाट के रहने वाले मनीष ने इलाके में केसर की खेती करके वहां के लोगों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन चुके हैं। बंदरो से परेशान होकर उन्होंने केसर की खेती करने का मन बनाया था, जिसमें वह आज सफल हो चुके हैं।
मनीष चंदेल की पहल से इस क्षेत्र में भी केसर की फसल करने की संभावनाएं बढ़ गई हैं। वैसे जिस क्षेत्र में बंदरों ने अधिक उत्पात करना शुरु कर दिया है वहां के लोग फसलें लगाना बंद कर रहे हैं। अब वह चाहते हैं कि ऐसी फसल का उत्पादन किया जाए जिनसे नकदी भी मिले और लागत भी कम आए तो इस तरह कि फसलों के लिए लोगों का रुझान इस और बढ़ाया सकता है।
युवा ने अपनी कहानी बताते हुए कहा कि उत्पाती बंदर उनके खेतों को तबाह कर जाते थे। वह खून पसीना बहाकर खेतों में मेहनत करते थे लेकिन कुछ भी हाथ नहीं लगता था। फिर एक दिन उन्हें कहीं से सुझाव मिला कि केसर की खेती को बंदर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। इसमें लागत भी ज़्यादा नहीं आती और मेहनत भी अधिक नहीं करनी पड़ती है। बाजार में भी इसकी अच्छी खासी कीमत मिल जाती है।
मनीष चंदेल ने गढ़वाल से केसर का बीज मंगवाया और केवल परख करने के लिए केसर की बिजाई की। जिसमें आज उनको काफी अच्छी कामयाबी मिल रही है। अब उसकी लहलहाती फसल देख कर सब लोग उसे इस कामयाबी के लिए बधाई दे रहे हैं। इनका कहना है कि अगर बाज़ार में इसकी अच्छी कीमत मुझे मिल जाती है तो मैं अगली बार पूरी जमीन में केसर की बिजाई करूंगा।