क्या आपको पता है कि देश का करीब 42 फीसदी हिस्सा सूखाग्रस्त है। जो पिछले साल की तुलना में 6 फीसदी ज्यादा है। सूखे पर निगरानी रखने वाले DEWS (Drought Early Warning System) के 28 मई के अपडेट में असामान्य रूप से सूखाग्रस्त इलाके का हिस्सा बढ़कर 42.61 फीसदी हो गया है, जो एक हफ्ते पहले (21 मई) 42.18 फीसदी था।
इसका इंडेक्स बीते साल के मुकाबले खराब हो गया है, जब देश का 36.74 फीसदी इलाका असामान्य रूप से 28 मई, 2018 को सूखे की चपेट में था। 'गंभीर रूप से सूखे' की कैटेगरी में बढ़ोतरी हुई है। ये एक हफ्ते पहले 15।93 फीसदी था, जो 28 मई को 16।18 फीसदी हो गया।
कौन-कौन से राज्य सबसे ज्यादा प्रभावित
तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र, गुजरात और राजस्थान सबसे बुरी तरह से प्रभावित इलाकों में शामिल हैं। असामान्य रूप से सूखे वाली कैटेगरी में बीते साल के 0।68 फीसदी के मुकाबले इस साल 5।66 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है।
जलाशयों में पानी की कमी
केंद्रीय जल आयोग की 30 मई के विज्ञापन में कहा गया है कि 91 जलाशयों में पानी का भंडारण 31।65 बीसीएम है, जो कि क्षमता का 20 फीसदी है। हालांकि, विज्ञापन में ये भी कहा गया है कि बीते साल की तुलना में इस साल पानी के भंडारण की स्थिति बेहतर है।
उत्तर पश्चिम और पूर्वोत्तर में कम बारिश का डर
सभी की नजरें अब मॉनसून पर हैं। भारतीय मौसम विभाग (आईएमडी) ने अपने दूसरे शुरुआती अनुमान में दावा किया है कि ये एक सामान्य मॉनसून होगा। लेकिन उत्तर पश्चिम भारत और पूर्वोत्तर भारत में सामान्य से कम बारिश होने की संभावना है। लॉन्ग पीरियड एवरेज (एलपीए) में पूरे देश में मॉनसून के दौरान 96 फीसदी औसत बारिश हो सकती है। सामान्य बारिश का औसत 96 फीसदी से 104 फीसदी होता है, जिसका ये निचला स्तर है।
उत्तर पश्चिम भारत में 94 फीसदी और पूर्वोत्तर में 91 फीसदी बारिश होने की संभावना है। मध्य भारत में 100 फीसदी और दक्षिण भारत में 97 फीसदी बारिश होने की संभावना है।