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जीवन-मूल्यों का राजनीतिकरण मीडिया के लिए खतरे का संकेत: शांता कुमार

मनोज धीमान |

भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता और  हिमाचल प्रदेश के भूतपूर्व मुख्यमंत्री शांता कुमार ने कहा है कि जीवन मूल्यों के राजनीतिकरण से  मीडिया को भी कई खतरों  का सामना  करना पड़ रहा है जो देश और समाज दोनों के लिए हानिकारक है। उन्होंने कहा कि राजनीतिक प्रदूषण से  प्रजातांत्रिक संस्थायें भृष्ट होती जा रही हैं जिस पर अंकुश लगाने का दायित्व जिम्मेदार मीडिया का है।

लखनऊ की प्रसिद्ध सांस्कृतिक संस्था 'रंग भारती' ने  हिंदी पत्रकारिता की 193 वीं वर्षगांठ पर आयोजित समारोह में विशेष अतिथि के रूप में अपने संबोधन में शांता कुमार ने कहा कि देश में हिंदी पत्रकारिता का उदभव राष्ट्रीय जागरण के उदघोष से हुआ। जिसने अंग्रेज़ों को देश छोड़ने के लिए विवश किया।  उन्होंने कहा आज़ादी के बाद पत्रकारिता के क्षेत्र में जो व्यापक बदलाव आए हैं वे सुखद तो हैं पर चुनोतियों से भरे हैं ।  इस सन्दर्भ में उन्होंने 'पेड़-न्यूज़' का हवाला दे कर मीडिया को सचेत किया।

इस अवसर पर शांता कुमार को  रंग भारती की ओर से हिंदी  लेखन एवं शुचिता पूर्ण राजनीति में विशिष्ट योगदान के लिये 'अमीर खुसरो रंगभारती  सम्मान' भी प्रदान किया गया। उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक के कर-कमलों से शांता को सम्मान प्रदान किया गया। संस्था और राज्यपाल का आभार व्यक्त करते हुए शांताकुमार ने कहा कि चुनावी राजनीति को अलविदा कहने के बाद इस सम्मान की मेरे लिए अधिक महत्ता है क्योंकि अब में अपना समस्त समय  साहित्य के माध्यम से समाज की सेवा में गुजारना चाहता हूं। समारोह में उत्तर प्रदेश विधान सभा के अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित, उत्तर प्रदेश सरकार के मंत्री ब्रजेश पाठक और लखनऊ विश्वविद्यालय के कुलपति सुरेंद्र प्रताप सिंह भी उपस्तिथ थे।