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क्या फ़र्जी है वृक्षारोपण करना? जब जंगलों को आग से नहीं बचाना तो क्यूं है इनको लगाना

बबली भाटिया |

जंगलों में आग मत लगाओ… पर्यावरण सुरक्षित रखो… ये रटी रटायी लाइनें सोशल मीडिया पर इन दिनों खूब चर्चा का विषय बनी हैं। लेकिन श़ायद ही किसी व्यक्ति ने इन बातों पर ग़ौर किया हो और पर्यावरण के साथ-साथ जानवरों को बचाने का जिम्मा उठाया हो। ये दोष हमारा और आपका नहीं… बल्कि बदलते वक़्त का है। आज हम सोशल मीडिया के ज़माने में जी रहे हैं तो ऐसे में ज़रूरी है कि हम बातें भी सोशल मीडिया टाइप की ही करें…।। भविष्य की किसकों चिंता है… उस काम के लिए तो सरकारें और नेता लोग बैठे हैं..!!! लेकिन आख़िर कार हमारी जिम्मेदारी इतनी तो बनती है कि इन विषयों को हम नेताओं और सरकारों तक पहुंचाएं…।।

जंगलों में आग लगना इन दिनों हिमाचल की पहाड़ियों में आम हो गया है। मीडिया से लेकर सोशल मीडिया भी इन ख़बरों और विचलित करने वाली तस्वीरों से पटा पड़ा है। लेकिन हिमाचल के वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर श़ायद अभी तक मोदी की जीत का ही आनंद ले रहे हैं। हर साल जंगलों को आग से बचाने की बात कही जाती है.. नीति लाने की बात भी होती है… लेकिन अस़ल में कुछ नहीं होता। हर बार की तहर कैबिनेट बैठक में कुछ चर्चाएं और फ़िर गर्मियां ख़त्म और बरसात चालू…।।

लेकिन क्या आप जानते हैं कि यही आग भयंकर रूप धारण कर जान और माल को बहुत बड़ा नुकसान करती है, जिसकी भरपाई कर पाना मुश्किल होता है। हर साल करोड़ों की वन संपदा जलकर राख हो जाती है। यही नहीं, उस जंगल में रहने वाले जीवों के बारे में सोचिये जो इन दहकते जंगलों की चपेट में आ जाते हैं। एक तो वैसे ही गर्मियों में जंगल में आग लगना आम बात हो जाती है। आइए बात करते आजकल जंगलों में लग रही आग के बारे मेंः-

जंगल में आग लगने का कारण तो और भी हैं लेकिन हिमाचल में ख़ासतौर पर लोग खुद पहाड़ियों पर आग लगाते हैं। इसकी एक वज़ह ये भी बताई जाती है कि लोगों को अपने घरों के लिए घास आदी की ज़रूरत होती है, जिससे बरसात के मौसम में ताजा घास उगती है। इसलिए इससे पहले गर्मियों के मौसम में जंगलों में आग लगाई जाती है ताकि फ्रेश घास लोगों के काम आ सके।  इसके साथ ही लोगों को चूल्हे में आग जलाने के लिए लकड़ी, पशुओं के लिए चारा और जड़ी-बूटियां कहां से मिलेगी।  

 

जंगल में आग लगने का कारण

जंगल में आग हमेशा तब लगती है जब  किसी स्थान पर ऑक्सीजन, ईंधन और उच्च तापमान एक जगह पर एक साथ मिल जाते हैं।

आग लगने का प्राकृतिक कारण भी हो सकता है जैसेः आसमानी बिजली का गिरना।

जंगल के साथ लगते रेलवे ट्रैक पर जब गाड़ी चलती है तो जंगलों से गुज़रने वाली ट्रेनों के पहियों से भी आग निकल सकती है।

जंगल में आग लगने से लोगों पर प्रभाव

जंगल में आग से जंगली जीव-जन्तुओं के आशियाने नष्ट हो जाते हैं। साथ ही साथ हिमाचल में भी अधिकतर मकान लकड़ी के होते हैं, जिससे मकानों को भी ख़तरा रहता है। कई दफ़ा हो चुका है कि पहाड़ियों पर रह रहे लोगों के घरों तक आग पहुंच जाती है औऱ उसके चक्कर में लोगों को नुकसान भी होता है। अब जब कि हिमाचल पहाड़ी प्रदेश है तो यहां इक्का-दुक्का लोग ऊपरी इलाकों में जंगलों के बीच भी अपना घर बनाए रहते हैं।

श़हरी क्षेत्रों में जहां पर आग से बचाव के लिए अग्निशमन विभाग आसानी से पहुंच जाता है वहीं ग्रामीण और ऊपरी इलाकों में इन वाहनों का पहुंचना काफी कठिन हो जाता है। अब भी इस पहाड़ी प्रदेश के कई गांव ऐसे हैं, जहां आग लगने पर अग्निशमन के वाहन नहीं पहुंच पाते हैं और अधिक नुकसान लोगों को झेलना पड़ता है।

आग से बचाव

वन अधिकारियों को समय-समय पर जाकर जंगलों का दौरा करना चाहिए। उन्हें यह देखना चाहिए कि कहीं जंगलों के आसपास या जंगल के अंदर कोई ऐसी चीज़ तो नहीं है जो आग लगने का कारण बन सकती है। अधिकारियों को जंगलों के नजदीक रहने वाले लोगों को भी सचेत करना चाहिए कि वह भी कोई ऐसी वस्तु जंगल में ना फेंके जिससे आग लगे।