रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने गुरुवार को अपनी क्रेडिट पॉलिसी का एलान किया है। इसमें आरबीआई ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कटौती कर दी है। अब आरबीआई बैंकों को 6 फीसदी के बजाय 5.75 फीसदी की ब्याज दर पर कर्ज उपलब्ध कराएगा। इससे बैंक लोन लिए उपभोक्ताओं को लोन की ईएमआई में फायदा पहुंचेगा। रिजर्व रेपो रेट और बैंक रेट को भी एडजस्ट किया है। इसे क्रमश: 5.50 फीसदी और 6.0 फीसदी किया गया है। केंद्रीय बैंक द्वारा यह लगातार तीसरा मौका है, जब उसने ब्याज दर घटाई हैं।
इसके साथ ही आरबीआई ने ऑनलाइन ट्रांजेक्शन के माध्यमों रियल टाइम ग्रॉस सेटलमेंट (RTGS) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक फंड्स ट्रांसफर (NEFT) पर लगने वाले शुल्क को भी हटाने का ऐलान किया है। इस फैसले का सीधा असर ऑनलाइन ट्रांजैक्शन करने वाले बैंक उपभोक्ताओं को फायदे के रूप में पड़ेगा। आरबीआई ने कहा है कि बैंकों को अपने ग्राहकों को यह लाभ देना होगा।
दरअसल, मौजूदा समय में सरकारी और निजी बैंक IMPS और RTGS सेवा के लिए ग्राहकों से शुल्क लेते हैं। देश का सबसे बड़ा बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया NEFT की सुविधा पर 2.5 रुपये से लेकर 25 रुपये तक का शुल्क लगाता है। एसबीआई 10 हजार रुपये तक के ऑनलाइन ट्रांसफर पर 2.5 रुपये, 10 हजार से लेकर एक लाख रुपये तक के ऑनलाइन ट्रांसफर तक पांच रुपये का शुल्क लगाता है।
इसके अलावा एसबीआई 1 लाख रुपये से 2 लाख रुपये तक की धनराशि NEFT के जरिये भेजने पर 15 रुपये का शुल्क वसूलता है। वहीं 2 लाख रुपये से अधिक के पैसे ट्रांसफर पर 25 रुपये चार्ज वसूला जाता है। देश के अन्य बैंक भी ग्राहकों से इसी तरह का शुल्क वसूलते हैं। NEFT के अंतर्गत मौजूदा समय फंड ट्रांसफर करने के लिए समयसीमा तय है। वहीं RTGS और IMPS के तहत किसी भी समय किसी को भी पैसे ट्रांसफर किए जा सकते हैं।