चीन की हुआवे टेक्नॉलजीज ने भारत से यह तय करने को कहा है कि देश में 5G टेक्नॉलजी के डिवेलपमेंट में वह शामिल हो सकती है या नहीं। इस पर हुआवे का कहना है कि उससे पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर उसने दे दिए हैं। हुआवे इंडिया के चीफ एग्जिक्यूटिव जे चेन ने ईटी को बताया कि इंडस्ट्री और भारत के लिए पॉलिसी और स्टैंडर्ड्स सिक्यॉरिटी बेनेफिट उपलब्ध कराएंगे। टेलिकॉम डिपार्टमेंट के लिए यह फैसला करने का समय है।' उन्होंने कहा कि हुआवे ने टेलिकॉम डिपार्टमेंट की ओर से पूछे गए सभी प्रश्नों के उत्तर दिए हैं।
हालांकि, इस मुद्दे पर DoT में एक राय नहीं है। भारत और चीन के बीच संवेदनशील राजनयिक संबंधों के मद्देनजर यह मुद्दा केवल टेक्नॉलजी और सिक्यॉरिटी का नहीं है, बल्कि यह भूराजनीतिक महत्व का भी है। DoT के कुछ अधिकारियों का कहना है कि देश केवल दो टेलिकॉम इक्विपमेंट सप्लायर्स- नोकिया और एरिक्सन- पर निर्भर नहीं रह सकता। उनका कहना है कि यूरोपियन कंपनियों से भी जोखिम हैं। इन अधिकारियों का मानना है कि हुआवे को 5G ट्रायल में शामिल होने की अनुमति दी जानी चाहिए। अधिकारियों के एक अन्य वर्ग का मानना है कि चीन की टेलिकॉम इक्विपमेंट कंपनियां देश की सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा हैं क्योंकि वे चीन के कानून के तहत वहां की सरकार को जानकारी देने के लिए बाध्य हैं।
अमेरिका के हुआवे को ब्लैकलिस्ट में डालने के बाद दुनिया भर में चीन की इस कंपनी की स्क्रूटनी बढ़ी है। हालांकि, हुआवे का कहना है कि उसकी 5G नेटवर्क टेक्नॉलजी सुरक्षित है। हुआवे चाहती है कि भारत सरकार जल्द उसे लेकर फैसला करे।
भारतीय टेलिकॉम कंपनियों वोडाफोन आइडिया और भारती एयरटेल ने भी DoT से यह स्पष्ट करने को कहा है कि उन्हें 5G के फील्ड ट्रायल के लिए हुआवे के साथ पार्टनरशिप करनी चाहिए या नहीं। टेलिकॉम मिनिस्टर रवि शंकर प्रसाद ने सोमवार को कहा था कि हुआवे के मुद्दे को टेक्नॉलजी के साथ ही सिक्यॉरिटी के नजरिए से भी देखने की जरूरत है।
देश में इस वर्ष के अंत तक 5G स्पेक्ट्रम की नीलामी होगी। 5G के लिए फील्ड ट्रायल भी जल्द होने की उम्मीद है। हुआवे के चेन ने कहा कि नई सरकार के शेड्यूल के अनुसार नीलामी हो सकती है। मेरा मानना है कि इसमें अधिक समय नहीं बर्बाद करना चाहिए।