राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने शिमला के ऐतिहासिक गेयटी थियेटर में आयोजित अंतरराष्ट्रीय पुस्तक मेले का शुभारम्भ किया। मेले में देश विदेश के 25 प्रकाशक भाग ले रहे हैं। यह पुस्तक मेला ओकार्ड एनजीओ, भाषा एवं संस्कृति विभाग और हिमाचल कला अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में 16 जून तक आयोजित किया जा रहा है।
इस अवसर पर राज्यपाल ने सभी स्टालों में जाकर पुस्तकों का अवलोकन किया और उनके बारे में विक्रेताओं से जानकारी ली। उन्होंने कहा कि पुस्तकें ज्ञान का भण्डार होती हैं और हमें चिंतन, ज्ञान और समझ पैदा करती हैं। राज्यपाल ने चिंता जताई कि आधुनिक तौर-तरीकों में युवाओं का पुस्तकों के प्रति रूझान कम होता जा रहा है, जिससे कि ज्ञान की धारा प्रभावित हो रही है। साथ ही आशा जताई कि ऐसे पुस्तक मेले युवा पीढ़ी में पुस्तकों के प्रति रूची पैदा करने में सहायक साबित होंगे।
राज्यपाल ने पुस्तक मेले के लिए आयोजकों को बधाई देते हुए कहा कि यह प्रसन्नता की बात है कि मेले में नवीनता लाने के लिए मंगोलिया और द रिपब्लिक ऑफ बोसनिया एंड हर्जेगोविना देशों की पुस्तकें प्रदर्शित की गई हैं। इसमें वाणी प्रकाशन, जीनियय हाइव पब्लिकेशन, महावीर बुक डिस्ट्रीब्यूटर, राजस्थान पत्रिका, एडवांस स्टडी और अहमदिया मुस्लिम कम्युनिटी और रेडियो बोलती रामायण भाग ले रहे हैं।
रेडियो बोलती रामायण का डिजिटल गायन संग्रह है जो पहली बार शिमला पुस्तक मेले से शुरुआत कर रहा है। इसके अतिरिक्त, कला महाविद्यालय चौड़ा मैदान शिमला के 10 विद्यार्थियों द्वारा शिमला के धरोहर भवनों की चित्रकला भी की जा रही है। राज्यपाल ने इन बच्चों से बातचीत भी की।
उन्होंने सांचा विद्या के विद्वान पंडित देवी राम, जो पाण्डु लिपि पढ़ने और ज्योतिष में महारत रखते हैं, से भी विचार-विमर्श किया। उन्होंने वाणी प्रकाशन, प्रतिश्रुति प्रकाशन, कविता प्रकाशन और भाषा, कला, संस्कृति अकादमी, जीनियस पब्लिकेशन इत्यादि स्टाल पर जाकर पुस्तकों संबंधी जानकारी हासिल की। इस मौके पर सचिव, भाषा, कला एवं संस्कृति डॉ. पूर्णिमा चौहान ने राज्यपाल को पुस्तक मेले के आयोजन संबंधी जानकारी दी। भाषा, कला एवं संस्कृति विभाग की निदेशक कुमुद सेन भी इस अवसर पर उपस्थित थीं।