राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान हमीरपुर में कंपनी से कांट्रैक्ट कर रखे गए सफाई वर्कर अपनी मांगों को लेकर हड़ताल करने पर अड़ गए है। वहीं, इंप्रैशन सर्विस प्राईवेट लिमिटड के अधिकारी ने वर्करस की हड़ताल को गलत बताकर सोमवार सुबह तक काम पर वापस आने का अलटीमेट दे दिया है। लिहाजा वर्करस एवं कंपनी मैनेजमेंट के बीच तनातनी का जैसा माहौल बन गया है। वर्करस की माने तो संबंधित कंपनी मनमानी कर उन्हें प्रताडि़त कर गलत तरीके से ट्रांसफर कर डराने का काम कर रही है। वहीं, कंपनी वर्करस की ट्रांसफर को जायज मान रही है। बतातें चलें कि संस्थान में उक्त कंपनी के द्वारा करीब 96 सफाई कर्मचारी रखे गए है। हड़ताल पर जाने के बाद इन्ही वर्करस का एक प्रतिनिधि मंडल कंपनी के अधिकारियों से मिला, लेकिन वे कंपनी के जवाबों से संतुष्ट नहीं हो पाए। वर्करस के हड़ताल पर जाने से संस्थान में सफाई व्यवस्था का काम खासा प्रभावित हो रहा है।
सच एवं झूठ के तर्क वितर्कों पर अड़े वर्कर एवं कंपनी के अधिकारी
इस प्रतिनिधि मंडल का नेतृत्व कर रहे नरेश कुमार ने बताया कि कंपनी उन्हें न तो समय पर वेतन देती है और न ही उनके वोनस को पूरा जारी कर रही है। इसके अलावा उल्टा ट्रांसफर कर वर्करस को डराने का काम किया जा रहा है। उन्होंने बाता कि जब उन्हें नौकरी पर रखा गया था तब केवल एक कोरे कागज पर साईन करवा लिए गए थे। अब उसी पर अपने तरीके से अपनी शर्तें लिख कर उन पर थोपने के प्रयास किए जा रहे है। उन्होंने बताया कि अब तक कंपनी ने छ: वर्करस को मौहाली ट्रांसफर करने के आदेश अब घरों को भेजने शुरू कर दिए है। उन्होंने संस्थान पर भी कंपनी के साथ मिली भगती का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि कंपनी तो केवल उन्हें रखती है, जबकि संस्थान ही उनसे काम लेता है। अब संस्थान भी प्रताडि़त करने वाली कंपनी का ही साथ दे रहा है। यही वजह है कि उन्होंने अब की गई ट्रांसफर को रोकने तक काम न करने का फैसला लिया है।
उधर, कंपनी के अधिकारी जितेंद्र सिंह ने बताया कि ट्रांसफर नियमों के तहत ही की गई है। उन्होंने बताया कि वर्करस को वेतन एवं वोनस समय पर एवं पूरा दिया जाता है। इस मामले पर वर्करस झूठ बोल रहे है। उन्होंने ये भी बताया कि किसी कोरे कागज पर नहीं नहीं अलबता लिखी गई शर्तों वाले पत्र पर ही उनसे साईन लिए हुए है।
कांट्रैक्ट की इस बात पर भी बना संशय
कंपनी के अधिकारियों का कहना है कि संस्थान के साथ काम करने को लेकर दो वर्ष का कांट्रैक्ट हुआ है, उसमें अभी उन्हें केवल एक ही वर्ष हुआ है। इसलिए वे किसी भी वर्करस की ट्रंासफर कर सकते है। वर्करस में नरेश कुमार का कहना है, कि 30 जून को दो साल पूरे हो जाएगें।
वर्कर्स ने प्रधानमंत्री, एचआरडी और राष्ट्राति को भेजी अपनी समस्याऐं
नरेश कुमार ने बताया कि कंपनी एवं उनसे मिली भगती कर रहे संस्थान से आ रही समस्याओं के बारे में उन्होंने प्रधानमंत्री, एचआरडी मंत्रालय एवं राष्ट्रपति को पत्र भेज दिया है। अब जब तक की गई ट्रांसफर को रद्ध नहीं किया जाता वे सब काम पर नहीं लौटेगें। संस्थान के एआर कुमार सौरभ ने बताया कि उक्त वर्करस इससे पहले भी कई बार गलतियां कर संस्थान प्रबंधन से माफी मांग चुके है। अब कड़ी कार्यवाही करने पर वे हड़ताल पर उतर आए जो ठीक नहीं है। उन्होंने माना कि इससे संस्थान में सफाई का काम खासा प्रभावित हो रहा है।