ट्रांसपॉर्ट मंत्रालय ने ट्रक और बस ड्राइवरों के लिए न्यूनतम शैक्षिक योग्यता के फैसले को हटाने का फैसला किया है। भारी वाहनों (ट्रक-बस) को चलाने के लिए अभी तक आठवीं कक्षा पास होना अनिवार्य है। इससे पहले कानून मंत्रालय ने इस तरह के प्रस्ताव को खारिज कर दिया था। हालांकि, ट्रांसपॉर्ट मंत्रालय इस अनिवार्य शैक्षिक योग्यता वाली शर्त को हटाने के फैसले पर विचार कर रहा है।
केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने साफ किया है कि भारी वाहनों यानी हैवी मोटर लाइसेंस या कॉमर्शियल ड्राइविंग लाइसेंस लेने के लिए अनिवार्य न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता रखने से प्रशिक्षित ड्राइवरों को दिक्कत होगी और वह इस मुद्दे से दूरी बनाये रखना चाहता है। इससे पहले राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य परिवहन विभाग को आदेश दिया था कि अनपढ़ लोगों को समाज के लिए खतरा बताते हुए उन्हें ड्राइविंग लाइसेंस न जारी किए जाएं।
अनपढ़ लोगों का नहीं हादसों से कोई संबंध
2016 के आंकड़ों के अनुसार भारत में 4.8 लाख सड़क हादसे हुए थे जिसमें से 3.35 लाख सड़क हादसों में शामिल ड्राइवर आठवीं पास या उससे अधिक शिक्षित थे। ट्रांसपॉर्ट मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया, 'हमारे पास ऐसा कोई डेटा नहीं है जिससे हम साबित कर सकें कि अशिक्षित ड्राइवरों के कारण ज्यादा हादसे होते हैं।' विभाग के अधिकारियों का कहना है कि ड्राइवर की नौकरी के लिए आठवीं पास होना एक तरह से बाधा ही है। परिवहन विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कक्षा 8 या उससे अधिक की शैक्षिक योग्यता ड्राइवर की नौकरी के लिए बाधा की तरह है। इस अनिवार्य प्रावधान को मोटर वीइकल कानून में बदलाव के जरिए खत्म किया जा सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान हाईकोर्ट ने अनपढ़ लोगों को समाज के लिए खतरा बताते हुए उन्हें लाइसेंस न जारी करने के निर्देश दिए हैं। राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने कहा कि जो लोग सड़क किनारे लगे निर्देश, साइन-बोर्ड और वार्निंग सिग्नल्स को नहीं पढ़ सकते, ऐसे लोग पैदल चल रहे लोगों के लिए खतरा हो सकते हैं और उन्हें हानि पहुंचा सकते हैं। ऐसे लोगों को ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं किया जा सकता जो रोड साइन पढ़ने में अक्षम है।