विश्व बैंक के एक मिशन ने मुख्य सचिव बीके अग्रवाल की अध्यक्षता में राज्य सरकार के साथ एक मध्यावधि समीक्षा बैठक की। बैठक में प्रारंभिक परियोजना के प्रारूप का पुनः मूल्यांकन किया गया, जिसमें उद्देश्यों, गतिविधियों, कार्यान्वयन तंत्र और क्षेत्र की प्राथमिकताएं शामिल हैं। यह मिशन 3 से 14 जून, 2019 तक हिमाचल प्रदेश में फील्ड दौरे पर था और मिशन ने राज्य के विभिन्न हिस्सों जैसे चंबा में तीसा, लाहौल-स्पीति में केलांग और मंडी में जंजैहली का दौरा किया। बैठक के दौरान परियोजना के तहत वर्तमान परिस्थितियों में मान्य प्रचलन और व्यवहारिकता पर भी विचार किया गया।
मुख्य सचिव ने कहा कि प्रदेश सरकार हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के लिए हर सम्भव सहायता प्रदान करने के लिए प्रतिबद्ध है। स्टाफ की कमी के बारे में अवगत करवाए जाने पर उन्होंने हिमाचल प्रदेश विपणन निगम और हिमाचल प्रदेश विपणन बोर्ड को आउटसोर्स आधार पर पेशेवर व्यक्तियों को नियुक्त करने को कहा। उन्होंने कहा कि परियोजना बागवानी क्षेत्र में मध्यस्थ्ता प्रारूप में सहयोग कर फसल को बढ़ाने तथा मौसम संबन्धी कठिनाइयों से निपटने के लिए बागवानों को सहायता प्रदान कर रही है। इसके अतिरिक्त बाजार की जरूरतों के आधार पर बागवानों को उत्पादन और बाजार में पहुंच बढ़ाने के लिए भी सहायता की जा रही है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2023 तक एचपीएमसी पर 240 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे जबकि सिंचाई सुविधाएं उपलब्ध करवाने के लिए 330 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। उन्होंने विश्वविद्यालय से पौधों की नई किस्मों पर कार्य करने तथा बागवानों को महत्वपूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाने को कहा। उन्होंने कहा कि बागवानों का उत्पादन तथा आय बढ़ाने के लिए नई तकनीक पर गहन शोध किया जाना चाहिए। उन्होंने सुझाव दिया कि प्रदेश का एक प्रतिनिधि दल फल बाजार में अग्रणी देशों के भ्रमण पर जा कर नर्सरी प्रबन्धन तथा नए किस्मों के फलों के पौधों पर अध्ययन करें।
हिमाचल प्रदेश बागवानी विकास परियोजना के निदेशक दिनेश मल्होत्रा ने कहा कि 1134 करोड़ रुपये की इस परियोजना को वर्ष 2016 में आरम्भ किया था। यह परियोजना 2023 तक प्रदेश में लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि परियोजना के तहत बागवानों को उत्पादन बढ़ाने के लिए नर्सरियों के माध्यम से उचित दामों पर सेब, आडू, नाशपाती, अखरोट इत्यादि के उच्च किस्म और गुणवतायुक्त पौधे उपलब्ध करवाए जा रहे हैं। नर्सरी सोसायटी बागवानों के लिए प्रतिवर्ष नई किस्मों के 24 लाख पौधों का उत्पदान करेगी।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में नियंत्रित वातावरण भण्डारणों तथा पैकेजिंग हाउसों का सुदृढ़ीकरण किया जा रहा है। परमाणु तथा जरोल में प्रसंस्करण संयंत्रों का स्तरोन्नयन किया जाएगा जबकि ठियोग के पराला में एक नया संयंत्र लगाया जाएगा। प्रदेश में आठ नई विपणन मण्डियां बनाई जाएंगी जबकि आठ विपणन मण्डियों को स्तरोन्नत किया जाएगा।
इससे पूर्व टास्क टीम लीडर एवं कृषि विशेषज्ञ मनीवनन पार्थी ने परियोजना की विभिन्न गतिविधियों के बारे में उपस्थित अधिकारियों को जानकारी दी। उन्होंने परियोजना की एक वर्ष की प्रगति पर सन्तोष व्यक्त किया। अधिकारियों से परियोजना के कार्यान्वयन और समयबद्ध लक्ष्य प्राप्त करने की प्रक्रिया में तेजी लाने को कहा। इसके अतिरिक्त मुख्य सचिव बागवानी आरडी धीमान, सचिव सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य आरएन बत्ता, निदेशक बागवानी, मुख्य प्रबन्धक एचपीएमसी, प्रबन्ध निदेशक एचपी मार्केटिंग बोर्ड, मिशन सदस्य मेरी कैथरीन हॉलीफिल्ड, चाकिब जीनैन, अरविन्द झाम्ब तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।