शिमला और धर्मशाला स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के संचालन के लिए सरकार ने स्पेशल पर्पज व्हीकल (SPV) की बीओडी को भंग कर दिया गया है। इसकी वजह दोनों श़हरों में इस प्रोजेक्ट के धीमी गति से चल रहे कार्यों को बताया जा रहा है। सरकार ने पुरानी एसपीवी को भंग करके मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली नई एसपीवी की बीओडी का गठन किया है।
स्मार्ट सिटी का काम अभी तक न के बराबर हुआ है। जिस कंपनी डीएससीएल को स्मार्ट सिटी धर्मशाला का काम दिया गया उसको लेकर भी सवाल उठ रहे है। इस कंपनी कार्यप्रणाली पर तो धर्मशाला नगर निगम ही सवाल उठा रहा है। धर्मशाला मेयर ने डीएससीएल की लेटलतीफी पर स्मार्ट सिटी प्रबंध निदेशक को बाक़ायदा लेटर लिखकर शिकायत की है। जिस कंपनी के पास स्मार्ट सिटी का जिम्मा है उसके ऊपर तो डिफॉल्टर होने की भी मुहर है।
अब ख़बर ये है कि इसी कंपनी को ही शिमला स्मार्ट सिटी के काम को दिए जाने की तैयारी चल रही है। इसको लेकर मुख्यमंत्री की गैरमौजूदगी में बैठक भी हो चुकी है। सूत्र बताते हैं कि इस कंपनी का नाम लगभग तय कर लिया गया है। अभी तक स्मार्ट सिटी में सिर्फ अफसरों के विदेशी दौरों पर ही करोड़ों का खर्च हुआ है बाकि धरातल पर काम शून्य ही दिख रहा है।
स्मार्ट सिटी के तहत शिमला में 31 किमी सड़क को चौड़ा करने और सड़क के किनारे पैदल चलने के लिए अलग से रास्तों का निर्माण किया जाना है। ऑनलाइन ही पार्किंग की आक्यूपेंसी का पता लगाया जाएगा। लोअर बाजार से लेकर कृष्णा नगर तक ईमारतों का जीर्णोंधार किया जाना है। एस्केलेटर से लेकर लिफ्ट बनाए जाने का प्रोजेक्ट इसमें शामिल है।