बिलासपुर में पहली ही बारिश ने प्रशासन के दावों की हवा खोल दी। बिलासपुर बस स्टैंड, टैक्सी स्टैंड के आसपास की सड़कों और रास्तों ने नालों का रूप धारण कर लिया। नगर परिषद बिलासपुर का कैंपस भी गंदले पानी के तालाब में तब्दील हो गए।
जीवन रेखा कही जाने वाली सड़कें जोखिम तो क्या साक्षात नर्क का द्वार बन गईं। एक ख़ास बात और तो और नगर परिषद बिलासपुर के परिषर में गंदले पानी का तालाब ही खड़ा हो गया। इन सभी पर स्थानों पर अधिकतर निकास नालियां वर्षों से बंद पडी हैं जिस कारण लोगों को बरसाती मौसम में आवागमन के प्रति विभिन्न प्रकार की परेशानियों का पहाड़ टूटना स्वाभाविक है।
स्थानीय निवासियों के अनुसार वह कई वर्षों से अधिकारियों कार्यलयों के चक्कर पे चक्कर लगा चुके हैं। मगर, उनका माथा ठनकता तक नहीं है को है। उनका आरोप है कि इस गंभीर समस्या के समाधानार्थ शासन- प्रशासन कोई रुचि नहीं दिखा रहा है जबकि,
प्रदेश भर में बिलासपुर शहर पिछले वर्ष डेंगू के मामलों में सर्वोच्च स्थान पर रहा था मगर फिर भी संबंधित विभागों के आलाधिकारियों ने वर्षों पूर्व अवरुद्ध हुई निकास नालियों को खुलवाना और साफ़ सुथरा रखने के प्रति कोई सबक नहीं लिया ।
हां एक बात हम यह भी बताना चाहेंगे इस बारे नगर परिषद अधिकारी उर्वर्शी वालिया का कहना है कि आज ही नगर परिषद की बैठक है इस गंभीर मामले पर एकजुटता के साथ सकरात्मक निर्णय लिया जाएगा। यह तो वही बात हुई बरसात सिर पर है और नगरपरिषद अभी तक धरातल पर कुछ करने की अपेक्षा निर्णय लेने तक ही सीमित है।
नगर परिषद की दूर दर्शिता का पता तो उनके परिसर की दुर्दशा को देखकर ही जान पड़ रहा है कि बरसात के मौसम में बरसाती पानी की बला से निपटने के प्रति कितनी सचेत और जुझारू है। यह तो भविष्य ही बताएगा कि बिलासपुर टैक्सी स्टैंड, बसस्टैंड के आसपास बरसाती पानी की समस्या से स्थानीय निवासियों और राहगीरों को कब निजात मिल पाएगी।