विश्वभर में जल संकट तेजी से उभर कर सामने आ रहा है। भारत के कई राज्य सूखे की मार झेल रहे हैं। ऐसा भी निकलकर आ रहा है कि अगला विश्व युद्ध पानी के लिए हो सकता है। हिमाचल प्रदेश से पांच मुख्य नदियां निकलती है जो देशभर के लोगों और खेतों की प्यास बुझाती है। लेकिन लगातार घटते हिमाचल की नादियों के जलस्तर और गुणवत्ता से वुद्धिजीवी समाज चिंताग्रस्त है।
जल संकट को देखते हुए हिमाचल की पांच प्रमुख नदियों सतलुज, ब्यास, चिनाव, रावी व झेलम को नमामि गंगे की तर्ज़ पर साफ करने और इनको बचाने के लिए केन्द्र सरकार ने डीपीआर तैयार करने के आदेश दिए है। इस काम को हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान करने जा रहा है।
इसी मकसद से हिमालयन वन अनुसंधान संस्थान द्वारा शिमला में दो दिवसीय लांच वर्कशॉप का आयोजन किया गया । जिसमें वानिकी गतिविधियों के माध्यम से विस्तृत परियोजना रिपोर्ट बनाने के लिए विशेषज्ञ ने विचार विमर्श किया जाएगा। तीन राज्यों के विशेषज्ञ यहां जुटे हुए हैं। इस कार्यक्रम में वन मंत्री गोविंद सिंह ठाकुर ने मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की।
उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्रों की नदियां लोगों की आजीविका चलाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करती हैं। हिमालयी क्षेत्रों में नदियों के जल का प्रयोग बिजली उत्पादन में बहुत ज्यादा हो जाता है। जिस वजह से नदियों के जल स्तर में कमी आ रही है। नदियों को बचाने के लिए वनों की अहम भूमिका निभाते है। इसलिए नदियों के किनारों और आसपास के क्षेत्रों में भारी संख्या में पेड़ पौधे लगाने की जरूरत है। गोविंद सिंह ठाकुर ने संस्थान द्वारा सिंधु नदी बेसिन की प्रमुख नदियों का पुनरुद्धार करने के प्रयास की सराहना की और उम्मीद जताई की भविष्य में इसके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे।