कहलूर रियासत के राजाओं द्वारा बसाए गए गोविंदसागर झील में जलमग्र मंदिरों की पुर्नस्थापना को लेकर अब अंतिम सर्वेक्षण शुरू हो गया है। इसके लिए दिल्ली से इंडियन ट्रस्ट ऑफ हैरिटेज डिवेल्पमेंट एंड रूरल डिवेल्पमेंट की एक टीम बिलासपुर पहुंच चुकी हैं । यह टीम 30 जून तक जलमग्र मंदिरों को बाहर निकालकर चयनित जमीन पर स्थानांतरित करने के लिए संभावनाएं तलाशेगी और बाकायदा एक रिपोर्ट तैयार करेगी। इसी रिपोर्ट के आधार पर ही जिला प्रशासन की ओर से धार्मिक पर्यटन निखार के लिए आगामी कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जाएगा।
8वीं और 19वीं शताब्दी में बने ऐतिहासिक भगवान रंगनाथ के मंदिर झील की जद में आ गये थे। जिनके संरक्षण के लिए पूर्व सरकारों द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाये गए। ऐतिहासिक भगवान रंगनाथ के मंदिर के संरक्षण के लिए भाषा एवं संस्कृति विभाग बिलासपुर द्वारा भारत सरकार के यूआई निदेशालय में पत्र भेजा गया है। जिसके बाद पुरातात्विक इंजीनियर्स के पांच सदस्यों की टीम बिलासपुर पहुंची। जहां, उन्होंने झील की जद में आये सभी मंदिरों की रिपोर्ट तैयार कर रहे हैं।
इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए भाषा एवं संस्कृति विभाग शिमला के पुरातात्विक इंजिनियर सीएल कश्यप ने बताया की भगवान रंगनाथ मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों को संरक्षण करना एक अहम चुनौती है। क्योंकि साल के केवल तीन माह ही यह मंदिर झील से बाहर आते है ऐसे में सिल्ट हटाकर मूर्तियों को निकालने में समय लगेगा। जिसकी रिपोर्ट बनाकर सरकार को भेजी जाएगी, वहीँ उन्हें पूरी उम्मीद है की इन मंदिरों का संरक्षण किया जायेगा।