राजधानी शिमला को पेयजल उपलब्ध करवाने वाले प्रमुख स्रोत गुम्मा में बहने वाली नोटीखड्ड में सैंकडों की तादात में मछलियों के मरने से क्षेत्र में हड़कंप मच गया है। मछलियों के एक साथ मरने से जहां पर्यावरणीय सन्तुलन बिगड़ने का अंदेशा हो गया है। वहीं, महामारी फैलने का खतरा भी बना हुआ है।
मछलियों के मरने का कोई स्पष्ट कारण मालूम नहीं हुआ है, परन्तु क्षेत्र के लोग आरोप लगा रहे हैं कि गुम्मा पेयजल स्रोत का प्रबन्धन देखने वाले जल प्रबंधन निगम के लापरवाही पूर्ण रवैये के कारण मछलियां मर रही हैं।
पंचायत मझिवड़ के प्रधान प्रेम प्रकाश ने बताया कि जलप्रबन्धन निगम द्वारा अत्याधिक ब्लीचिंग पाउडर डालने से मछलियां मर रही हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि पानी को स्वच्छ रखने के नाम पर निगम जीव-जंतुओं और इंसानों की जिंदगी से खिलवाड़ कर रहा है। निगम कर्मचारी ब्लीचिंग पाउडर मिलाते समय नियमों की अनदेखी करते हैं और मनमर्जी से ब्लीचिंग करते हैं।
इस बारे में अधिशासी अभियंता जल प्रबंधन बोर्ड राजेश कश्यप ने बताया कि जल परब धन निगम के कारण मछलियों के मरने के आरोप निराधार हैं ।निगम मापदंड के अनुसार ही अपने टैंकों में बलीचिंग पाउडर मिलता है जो कि स्वास्थ्य के लिहाज से लाजमी है। तय मात्रा से अधिक क्लोरीनेशन करना मनुष्य के स्वास्थ्य के लिए भी हानिकारक है।